Monday, December 23, 2024

सुप्रीम कोर्ट ने नजीम खान की जमानत रद्द करने की राजस्थान सरकार की याचिका पर नोटिस जारी किया

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नई दिल्ली, 16 दिसंबर, 2024

भारत के सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच, जिसमें न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुयान शामिल हैं, ने नजीम खान को नोटिस जारी कर राजस्थान सरकार की जमानत रद्द करने की याचिका पर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने राज्य सरकार की दलीलों पर गौर करते हुए आरोपी की आपराधिक पृष्ठभूमि, आदतन अपराधी होने की स्थिति और न्याय से बार-बार बचने के आरोपों को गंभीरता से लिया।

कोर्ट ने नजीम खान को एक कारण बताओ नोटिस भी जारी किया, जिसमें पूछा गया कि वह उत्तर प्रदेश में लंबित आपराधिक मामलों में अदालत में क्यों पेश नहीं हुआ, जहां उसके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किए गए हैं। साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट करने को कहा कि क्या उसे सभी लंबित मामलों में रिहा कर दिया गया है या नहीं।

राजस्थान सरकार का पक्ष और आरोप

राजस्थान सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता शिव मंगल शर्मा (AAG, Shiv Mangal Sharma) द्वारा दायर याचिका में आरोप लगाया गया कि 21 अक्टूबर, 2024 को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) द्वारा एक्स-पार्टी जमानत आदेश जारी किया गया था, जब राज्य सरकार अदालत में पेश नहीं हो पाई थी।

सरकार ने दलील दी कि नजीम खान की गंभीर आपराधिक पृष्ठभूमि के महत्वपूर्ण तथ्य उस समय अदालत के समक्ष प्रस्तुत नहीं किए जा सके थे, जिसका कारण संबंधित अधिकारी की लापरवाही थी, जिसे निलंबित कर दिया गया है।

राज्य सरकार द्वारा लगाए गए प्रमुख आरोप:

  • आपराधिक रिकॉर्ड: नजीम खान पर राजस्थान और उत्तर प्रदेश में दर्ज सात गंभीर आपराधिक मामलों का आरोप है, जिनमें राजस्थान गोवध निषेध अधिनियम, 1995, पशु क्रूरता रोकथाम अधिनियम, 1960, शस्त्र अधिनियम, और उत्तर प्रदेश गैंगस्टर अधिनियम के तहत मामले शामिल हैं।
  • आदतन अपराधी और भगोड़ा: आरोपी कई मामलों में फरार घोषित हो चुका है, और गैर-जमानती वारंट (NBW) अब भी उत्तर प्रदेश की अदालतों, विशेषकर संभल, हाथरस, आगरा, और चंदौली में लंबित हैं।
  • लंबित सुनवाई: अप्रैल 2024 में उत्पादन वारंट के तहत गिरफ्तारी के बावजूद, नजीम खान गायों की तस्करी, धोखाधड़ी, षड्यंत्र और संगठित अपराध जैसे गंभीर मामलों में अभियुक्त बना हुआ है।

सुप्रीम कोर्ट का निर्देश और गंभीर रुख

सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार की याचिका पर सुनवाई के बाद मामले को गंभीरता से लिया और नजीम खान को निम्नलिखित बिंदुओं पर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया:
1. जमानत रद्द करने की याचिका पर जवाब:
• आरोपी को अपने आपराधिक रिकॉर्ड, भगोड़ा स्थिति, और लंबित मामलों सहित सरकार के सभी आरोपों पर विस्तृत जवाब देना होगा।
2. कारण बताओ नोटिस:
• कोर्ट ने विशेष रूप से पूछा कि वह उत्तर प्रदेश की अदालतों में लंबित सुनवाई में क्यों पेश नहीं हुआ, और गैर-जमानती वारंट की वर्तमान स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया।
3. मामलों की स्थिति रिपोर्ट:
• सुप्रीम कोर्ट ने सभी लंबित मामलों की स्थिति रिपोर्ट मांगी है, यह जानने के लिए कि क्या आरोपी को किसी भी मामले में रिहा कर दिया गया है या नहीं।

राज्य सरकार की सुधारात्मक कार्रवाई

राजस्थान सरकार ने पिछली चूक के बाद उठाए गए सुधारात्मक कदमों को भी अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया:

  • 8 अक्टूबर, 2024: सुप्रीम कोर्ट का नोटिस राजस्थान सरकार के गृह विभाग के बजाय पुलिस थाना नादौती को भेज दिया गया था, जिसके कारण राज्य सरकार सुनवाई में पेश नहीं हो पाई।
  • 28 अक्टूबर, 2024: पुलिस निरीक्षक भोजाराम, थाना प्रभारी, पुलिस थाना नादौती, को लापरवाही के लिए निलंबित कर दिया गया और नोटिस पर कार्रवाई न करने के लिए आंतरिक जांच शुरू की गई।

महत्वपूर्ण तिथियां और मामले का घटनाक्रम

  • 13 फरवरी, 2021: राजस्थान पुलिस ने अवैध रूप से तस्करी की गई गायों को ले जा रहे एक ट्रक को पकड़ा और एफआईआर संख्या 62/2021 दर्ज की।
  • 30 अप्रैल, 2024: अलीगढ़ जिला जेल से उत्पादन वारंट के तहत नजीम खान को गिरफ्तार किया गया।
  • 25 मई, 2024: राजस्थान के महावीरजी के न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष विस्तृत आरोप पत्र दाखिल किया गया।
  • 21 अक्टूबर, 2024: राज्य सरकार की गैर-मौजूदगी के कारण सुप्रीम कोर्ट ने एक्स-पार्टी जमानत आदेश जारी किया।
  • 13 नवंबर, 2024: राज्य सरकार ने आपराधिक रिकॉर्ड और भगोड़ा स्थिति का हवाला देते हुए जमानत रद्द करने की अर्ज़ी दायर की।
  • 16 दिसंबर, 2024: सुप्रीम कोर्ट ने जमानत रद्द करने, भगोड़े की स्थिति, और लंबित मामलों पर नोटिस जारी किए।

अदालत में राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व

अतिरिक्त महाधिवक्ता शिव मंगल शर्मा, अधिवक्ता अमोग बंसल और सोनाली गौर ने राजस्थान सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में जोशीले तर्क प्रस्तुत किए। उन्होंने अदालत को बताया कि नजीम खान की बार-बार अदालतों में गैर-मौजूदगी, आदतन अपराधी होने की स्थिति, और कानून प्रवर्तन के साथ सहयोग न करने की प्रवृत्ति सार्वजनिक सुरक्षा और न्यायिक व्यवस्था के लिए गंभीर खतरा पैदा करती है।

सुप्रीम कोर्ट जनवरी 2025 में मामले की अगली सुनवाई की तारीख तय करने की उम्मीद है।

इस महत्वपूर्ण कानूनी मामले से संबंधित अपडेट के लिए जुड़े रहें।

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