हाईकोर्ट ने वर्ष 2020 में विधानसभा अध्यक्ष डॉ.सीपी जोशी ने सचिन पायलट गुट के अधिवक्ताओं को अयोग्य घोषित करने वाले मामले में कारण बताओं नोटिस जारी किया था। जिस पर पायलट सहित सभी विधायकों ने हाईकोर्ट में याचिका प्रस्तुत की थी। लेकिन केंद्र सरकार के अधिवक्ता ने जवाब प्रस्तुत करने के लिए समय चाहा था। जिस पर अधिवक्ता पूनम चंद भंडारी ने एतराज किया और कहा कि केंद्र 3 साल से जवाब पेश नहीं कर रही है। ऐसे में इन पर भारी जुर्माना लगाएं क्योंकि कोर्ट का कीमती समय बर्बाद किया जा रहा है। पायलट के अधिवक्ता उपस्थित नहीं हो रहे हैं अतः याचिका खारिज की जाए।
हाई कोर्ट की खंडपीठ के न्यायाधीश एम एम श्रीवास्तव ने पूछा आप किसकी तरफ से पैरवी कर रहे हैं तो अधिवक्ता भंडारी ने कहा पब्लिक अगेंस्ट करप्शन संस्था की ओर से क्योंकि यह भ्रष्टाचार का मामला है। इसलिए हमें हाई कोर्ट ने पक्षकार बनाया था और इस प्रकार की याचिकाओं से कोर्ट का समय बर्बाद होता है ऐसी याचिकाएं सिर्फ राजनेताओं के स्कोर सेटल करने के लिए लगाई जाती है और अब जब राजनेताओं में राजीनामा हो गया तो इसको चलाना नहीं चाहते हैं। इस प्रकरण में पहले मामला एकल पीठ में दर्ज कराया था और बाद में संशोधन के लिए समय मांगा समय दिया । लेकिन आधा घंटे बाद दोबारा बेंच बैठी जिसमें संशोधन का प्रार्थना पत्र प्रस्तुत हुआ और कोर्ट से स्वीकार किया।
खंडपीठ में मामला चल गया लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि खंडपीठ में मामला इसलिए गया था की संवैधानिक वैद्यता को चुनौती दी गई थी लेकिन खंडपीठ में केंद्र सरकार को पार्टी नहीं बनाया गया था और कोर्ट में बहस चलती रही जब हमने इस बात का एतराज किया कि केंद्र सरकार को पक्षकार बनाए बिना याचिका चल नहीं सकती है। तब पायलट की अधिवक्ताओं ने याचिका को संशोधित करने के लिए प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया और केंद्र सरकार को पार्टी बनाया गया था तब से लेकर आज तक केंद्र सरकार ने जवाब प्रस्तुत नहीं किया है। तीन दिन तक लगातार इसमें वरिष्ठ अधिवक्ता साल्वे लंदन से बहस रहे थे और बाद में कोर्ट ने स्थगन आदेश पारित किया था। लेकिन अब क्योंकि पायलट और सीएम गहलोत में राजीनामा हो गया है इसलिए प्रकरण को चलाना नहीं चाहते हैं।
कोर्ट ने कहा कि अगर याचिका कर्ता नहीं चलना चाहता है तो हम क्या कर सकते हैं। अधिवक्ता भंडारी ने कहा कि आपको ऐसी याचिकाओं पर हैवी कास्ट लगाकर खारिज करना चाहिए । कोर्ट ने केंद्र सरकार को जवाब के लिए अंतिम मौका दिया कि अगली तारीख पर जवाब पेश नहीं किया गया तो जवाब बंद कर दिया जाएगा। कोर्ट में जल्दी निर्धारित करने के लिए अधिवक्ता विमल चौधरी ने प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया था जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया।
प्रकरण में विधानसभा सचिव और विधानसभा अध्यक्ष की ओर से पूर्व महाधिवक्ता जीएस बापना और अधिवक्ता प्रतीक कासलीवाल ने पैरवी की। खंडपीठ के न्यायाधीश एम एम श्रीवास्तव व श्रीमती सुबह मेहता ने प्रकरण को दो सप्ताह बाद सुनवाई के लिए रखा है।