सामने आया कांग्रेस का मास्टर प्लान
दिव्य गौड़ जयपुर।
अब चंद महिनों की दूरी पर राजस्थान में विधानसभा चुनाव होना है. इसलिए भाजपा से लेकर कांग्रेस तक तमाम पार्टियों टिकट वितरण को लेकर गंभीरता से मंथन कर रही है. जहां तक सवाल है कांग्रेस का तो मौजूदा वक्त में सरकार हैं. ऐसे में सत्ता विरोधी लहर से बचने के लिए कांग्रेस नए चेहरों पर दाव खेल सकती है. इस लिहाज से करीब 70 विधायकों की टिकट पर तलवार लटक सकती है. माना जा रहा है इस महीने के आखिर तक दोनों प्रमुख पार्टियों के प्रत्याशियों की पहली सूची आ सकती है.
राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने पहले ही यह साफ कर दिया है कि जिताऊ और टिकाऊ चहरों को ही टिकट दिया जाएगा. वही सत्ता विरोधी लहर से निपटने के लिए 60-70 विधायकों के टिकट काटे जा सकते हैं. बहरहाल पार्टी अपने स्तर पर लगातार अलग-अलग तरीके के सर्वे करवा रही है. ऐसे में जिन विधायकों की रिपोर्ट ठीक नहीं है उनके टिकट काटे जा सकते हैं.
प्रभारी रंधावा इतर सीएम गहलोत भी इस बार टिकट वितरण को लेकर बेहद सावधानी रखने की बात कह चुके हैं. दूसरी तरफ सीएम उन विधायकों को लेकर थोड़ा नरम है जिन्होंने सरकार बचाने में साथ दिया था. ऐसे में सरकार बचाने में साथ देने वाले ज्यादातर विधायकों को फिर से टिकट मिल सकता है. लेकिन इस बीच प्रभारी रंधावा ने भी स्पष्ट कर दिया है कि अगर नेता अपनी ही तरफ देखेगे माने अपना ही सोचेगें यानि खुद और परिवार, बेटी बेटी और रिश्तेदार के बारे में सोचेंगे तो पार्टी का कार्यकर्ता पार्टी के लिए क्यों लड़ेगा. मतलब साफ है पार्टी का कार्यकर्ता तभी लड़ेगा जब उसे लगेगा कि पार्टी में उसका भी भविष्य है.
मसलन इन दिनों कांग्रेस पार्टी के पदाधिकारी और रणनीतिकार सत्ता विरोधी लहर से निपटने के साथ-साथ निष्क्रिय और दागी विधायकों की जगह नए चेहरों को उतारने की तैयारी में है. हालांकि ऐसी सूरत में पार्टी को कांग्रेस के बागी उम्मीदवार खड़े होने का डर सता रहा है. पार्टी सूत्रों की माने तो करीब 60 से 70 सीटों पर कांग्रेस नए चेहरे उतर सकती है. लेकिन उसके साथ-साथ पार्टी को बगियों से निपटने की योजना भी बनानी होगी.
आपको बता दें कि इसलिए दो दशक से ज्यादा समय से राजस्थान कांग्रेस में टिकट वितरण में सीएम अशोक गहलोत की ही ज्यादा चलती आई लेकिन साल 2014 में कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष बनने के बाद सचिन पायलट भी टिकट वितरण में एक बड़ा फैक्टर बन कर उबरे. लेकिन उसके बाद बगावत और मौजूदा हालात में पायलट कितने लोगों को टिकट दिला पाते हैं. या पैरवी कर पाते हैं यह देखने वाली बात होगी. क्योंकि पायलट कैंप के ज्यादातर विधायक पहली बार ही विधायक बने हैं. हालांकि सीएम गहलोत और पायलट कैंप के कई विधायकों के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर का असर देखने को मिल रहा है. अब यह देखने वाली बात होगी की टिकट वितरण में किस नेता की कितनी चलती है.