Home राजनीति बिजली कटौती से तंग आकर सरकार के मंत्री धरने पर, सरकार की साख गिरी क्रेडिट पर बिजली तक नहीं मिलतीः-कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड

बिजली कटौती से तंग आकर सरकार के मंत्री धरने पर, सरकार की साख गिरी क्रेडिट पर बिजली तक नहीं मिलतीः-कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड

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जयपुर।भाजपा प्रदेश कार्यालय पर मंगलवार को भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता एंव सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौड ने प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि प्रदेश कांग्रेस सरकार के वादे और इरादे में फर्क है। यदि कांग्रेस कोई वादा भी करती है, तो उसके साथ शर्त जरूर लगाती है। कांग्रेस ने 100 यूनिट मुफ्त बिजली देने का वादा किया तो उसके साथ शर्त लगाई कि उपभोक्ता का नाम रजिस्टर्ड होना चाहिए। फिर इन लोगों ने दिमाग लगाया कि इस मुफ्त बिजली की भरपाई कहां से करेंगे तो फ्यूल सरचार्ज लगाकर वसूली करने लगे। इसके बाद प्रदेश में 8 से 9 घंटे के पावर कट किए गए।

राष्ट्रीय प्रवक्ता एंव सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौड ने संबोधित करते हुए कहा कि कांग्रेस सरकार ने 100 यूनिट मुफ्त बिजली देने का वादा किया था, लेकिन सरकार ने फिक्स चार्ज और फ्यूल सरचार्ज के नाम पर जनता से वसूली बराबर जारी रखी। 01 जून 2023 से मुफ्त बिजली की घोषणा की गई और लोगों से अगस्त 2023 तक फ्यूल सरचार्ज ले रहे थे। शहरी क्षेत्रों में वर्ष 2021-2022 और 2022-2023 के बजट में 83 करोड की बिजली सब्सिडी दी गई थी। लेकिन सरकार ने फ्यूल सरचार्ज के नाम पर 37 करोड़ 22 लाख की वसूली कर ली ये है कांग्रेस का विकास और जनकल्याण। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में वर्ष 2021-2022 और 2022-2023 के लिए 60 करोड की सब्सिडी दी थी और उसमें से फ्यूल सरचार्ज के नाम पर 19 करोड की वापस जनता से ही वसूली कर ली। जब कांग्रेस को जून में मुफ्त बिजली की घोषणा करनी थी तो जनता को लूटने की तैयारी पहले से ही शुरू कर दी जिसके तहत मार्च-अप्रैल 2023 में 30 पैसे और 45 पैसे फ्यूल सरचार्ज बढाया गया। इसके बावजूद भी प्रदेश के काफी लोगों को मुफ्त बिजली योजना का लाभ नहीं मिला और उनके बिजली बिल बढकर आए। वादा मुफ्त बिजली का और भीषण गर्मी में आठ से नौ घंटे का पावर कट जिससे परेशान होकर बाडमेर में जनता ने जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। बिजली कटौती से किसानो की 50 फीसदी फसलें बर्बाद हो गई, प्रदेश का हर वर्ग इस कटौती से तंग आ गया। व्यापारी वर्ग हो या प्रदेश के अस्पताल सभी जगह बिजली के पावर कट ने जनता को तंग कर दिया।

राष्ट्रीय प्रवक्ता एंव सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौड ने प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि अकेले जयपुर में 5000 से ज्यादा ट्रांसफॉर्मर खराब होने से शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली संकट पैदा हो गया। इसका मूल कारण यह था कि सरकार के पास ना तो साधन थे और ना ही संसाधन, इस काम के लिए जो बजट आया था वह अन्य जगहों पर डायवर्ट कर दिया गया। खुद सरकार के मंत्री अशोक चांदना सरकार के खिलाफ बिजली की मांग को लेकर धरने पर बैठ गए इससे बुरा हाल क्या होगा। इसके अलावा एक दिलचस्प वाक्या हुआ जिसमें सरकार ने जिस अधिकारी को श्रेष्ठ अधिकारी बताकर पुरूष्कृत किया उसी अधिकारी को कुछ समय बाद सस्पेंड कर दिया। अब सवाल यह है कि पुरूष्कृत करना सही था या सस्पेंड करना सही था।

राष्ट्रीय प्रवक्ता एंव सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौड ने प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि प्रदेश सरकार ने कोयला खरीद और कोल क्लिनिंग के नाम पर 75 पैसा फ्यूल सरचार्ज बढाया जबकि सरकार के पास कोयला ही नहीं था। सवाल ये है कि जब कोयला था ही नही कोल क्लिनिंग किस बात की। वहीं सरकार ने कोल इंडिया से कोयला खरीदा और उसका भुगतान भी नहीं किया, जिसके चलते 631 करोड रूपया कोल इंडिया का बकाया चल रहा है। उसके बावजूद कोल इंडिया ने कहा कि आपके हिस्से का 17.80 लाख टन कोयला स्टॉक में है, लेकिन सरकार ने महज 5.04 टन कोयला ही उठाया। ये हाल तो तब है जब इन्हे खोदना भी नहीं है केवल आरसीआर के द्वारा यह कोयला लाना है, और यह सूचना इसी 10 सितंबर की है। केंद्र सरकार ने प्रदेश सरकार को 91 हैक्टेयर क्षेत्र में मायनिंग ऑपरेशन की अनुमति फरवरी 2022 में ही दे दी थी, लेकिन कांग्रेस की छत्तीसगढ सरकार ने उन्हे कोल मायनिंग के लिए वह जमीन ही हैंडओवर ही नहीं की। आज प्रदेश के 23 थर्मल पावर प्लांट में से 12 पावर प्लांट बंद पडे हैं। बिजली कटौती के नाम पर जब सरकार से पूंछो तो टैक्निकल इश्यू बताते हैं। आज प्रदेश सरकार की विश्वसनीयता इतनी घट गई है कि खुले बाजार में प्रदेश सरकार को क्रेडिट पर बिजली तक नहीं मिलती है। पैसे दो और बिजली लो इस तर्ज पर इन्हे बिजली मिलती है। इस योजना के तहत इन्हे 08 रूपए से 18 रूपए और कई बार बढकर 22 रूपए प्रति यूनिट में बिजली खरीदनी पड रही है। मतलब औसत पड रहा है 08 से 12 रूपए प्रति यूनिट बिजली खरीदी जा रही है।

राष्ट्रीय प्रवक्ता एंव सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौड ने प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि ट्रांसफॉर्मर रिपेयर का पैसा डायवर्ट करके महंगी बिजली खरीदने में लगा देते हैं। इसका कारण इनका मैनेजमेंट जीरो हैं। राजनीती में राजनीती के अलावा प्रशासनिक कार्यों की समझ होना भी जरूरी है। इन्होने अडानी से भी महंगी बिजली खरीद की है। क्या इसमें भी घोटाला हुआ है, यह तो तहकीकात में ही पता चलेगा। अपने थर्मल पावर प्लांट बंद करके निजि कंपनियों से बिजली खरीदना। अपने विद्युत कर्मचारियों को समय पर तनख्वाह तक ये लोग नहीं दे पा रहे। 2013 में जब भाजपा सरकार सत्ता में आई थी तब पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार 90 हजार करोड का कर्जा छोडकर गए थे। इसके बाद जब केंद्र में प्रधानमंत्री मोदी की सरकार आई तो उदय योजना के तहत केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने निरंतर प्रयास करके इस कर्ज को घटाकर महज 5 हजार करोड तक ला दिया। और आज प्रदेश पर फिर से 1.30 हजार करोड का कर्जा ये लोग छोडकर जाने वाले हैं। ट्रांसमिशन पर कांग्रेस सरकार ने कोई काम ही नहीं किया।

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