दिव्य गौड़।
राज्य सरकार के एक बड़े आईएएस अधिकारी की सरपरस्ती में रीको की बहुमूल्य कीमत की जमीन पर भूमाफियों की नज़र हैं और सरकार के अधिकारियो के साथ मिलकर इसे हड़पना चाह रहे हैं। और इस खेल में सरकार के बड़े अधिकारी उनका साथ भी दे रहे हैं।
मामला दुर्गापुरा ग्राम के खो का बास सांगानेर और ढोल का बाढ़ तहसील सांगानेर का हैं जहां जयपुर की अवाप्त 79 बीघा 19 बिस्वा भूमि में से स्थगन आदेश से प्रभावित भूमि रकबा 21 बीघा 06 बिस्वा को छोड़कर शेष 58 बीघा 13 बिस्वा भूमि पर जिला प्रशासन की मदद से और पुलिस इमदाद से अतिक्रमण हटाए जाने और भूमि नामांतरण नियम के पक्ष से खुलवाने का हैं।इस संबंध में तत्कालीन प्रबंध निदेशक रीको ने तत्कालीन जिला कलेक्टर सिद्धार्थ महाजन को चिट्ठी लिखी थी। इस प्रकरण की इस प्रकरण की महत्वता को देते हुए उक्त भूमि से अतिक्रमण हटाकर मौके पर अनाधिकृत रूप से चल रहे शैक्षिक संस्थान का अतिक्रमण हटाए जाने के लिए पुलिस बल के साथ अतिक्रमण हटाने के लिए लिखा था, साथ ही उक्त भूमि को अतिक्रमण मुक्त करवा कर औद्योगिक क्षेत्र का नियोजन करवाए जाने को भी पत्र में लिखा गया था। इस स्थगन आदेश से प्रभावित उक्त समस्त भूमि का नामांतरण भी निगम के पक्ष में खोलने के लिए संबंधित राजस्व अधिकारियों को निर्देशित किया था।डोल का बाढ़ फिनटेक में बड़ा खुलासा हैं।
रीको अपनी 2000 करोड़ मूल्य की 58 बीघा ज़मीन पर बोगस कोर्ट स्टे में अपील नही कर सरकार का पक्ष नही रख रही हैं , और ऐसा इसलिए हो रहा है जिससे इस जमीन का लाभ सुरेश गुप्ता नामक व्यक्ति को मिल जाए।इस पूरी सरकारी प्रकिया के धीमे और शिथिल होने का इशारा सुरेश गुप्ता की तरफ कर रहा हैं । जिससे सरकारी रेवड़ियों की बंदरबाट हो सके। सरकार के बड़े अधिकारी की शह पर ये सारे काम हो रहे हैं। अब सब अपने मुंह और कानों को बंद रख ये सारा नजारा देख रहे हैं। उन्हें सिर्फ इतना सा कहा गया हैं की अपील में सरकार की तरफ से किसी का कोई पक्ष नही रखना हैं और न ही पैरवी करनी हैं। मामला साफ सा दिख रहा हैं कि इस सबसे केस खारिज हो जायेगा ,मामला दब जाएगा। और इसका सीधा फ़ायदा सुरेश गुप्ता को हो जायेगा। इस कीमती जमीन के जाने से सरकार को इससे बहुत बड़ा राजस्व का नुकसान होगा। लेकिन इस मामले में कोई भी किसी को बोलने की हिम्मत नहीं कर रहा हैं।
हालांकि ये मामला न्यायालय में विचाराधीन हैं, रीको ने कोर्ट में 2018 के बाद केस में कोई तारीख नहीं ली।आख़िरी तारीख़ में भी रीको का कोई वकील नहीं पहुँचा था। जबकि प्रकरण में तत्कालीन एमडी वीनू गुप्ता ने 2016 में पुलिस इमदाद से ज़मीन ख़ाली कराने को लेकर कलेक्टर को लिखी थी चिट्ठी। 2018 से कुलदीप रांका रीको चेयरमैन हैं,पर स्टे पर अब तक ना कोई अपील हुई ना प्रभावी पैरवी।
लेकिन सवाल ये खड़ा होता हैं की जब सरकारी नौकरशाही ही लुटेरों के साथ मिलकर उनका साथ देगी तो जवाबदेही किसकी होगी।ये तो वोही बात हो गई बिल्ली को दूध की रखवाली करने को दे दी गई अब दूध बचेगा नही और मलाई खाकर खत्म हो जाएगी। सरकार के आंख के नीचे इस तरह के भ्रष्टाचार हो रहे हैं और सरकार के बड़े बड़े नुमाइंदे भाषणों में झूठे वादे और तहरीरें देकर भोली जनता के मांस से खेल जाते हैं।