दिव्य गौड़,जयपुर। बात पुरानी हैं पुराने समय की नेतागीरी की हैं लेकिन सीखने को आज भी बहुत कुछ हैं। कैसे एक ही रात में एक गांव में रात गुजार कर बीजेपी के प्रत्याशी हारता हुआ चुनाव जीत गये।बात 1984 के विधानसभा चुनाव की है। दीगोद विधानसभा से भाजपा प्रत्याशी ललित किशोर चतुर्वेदी गांवों में कार्यकर्ताओं के साथ चुनाव प्रचार कर रहे थे। एक गांव के रास्ते में फैले कीचड़ में कार फंस गई। काफी प्रयास के बाद भी कार नहीं निकली तो ग्रामीणों ने कहा कि कार तो निकाल देंगे, लेकिन आपको रात गांव में ही गुजारनी पड़ेगी। फिर ललित किशोर ने ग्रामीणों की बात मानी और गांव में ही रुके।
विधानसभा चुनाव प्रचार के लिए ललित किशोर चतुर्वेदी कार से बूढ़ादीत क्षेत्र में चुनाव प्रचार कर रहे थे। शाम को किशनगंज गांव में प्रचार पर जाते समय रास्ते में फैले कीचड़ में उनकी कार फंस गई। कार्यकर्ताओं ने कार को निकालने का काफी प्रयास किया, लेकिन असफल रहे। ग्रामीणों को बुलाया तो ग्रामीणों ने कहा कि कार तो निकाल देंगे, लेकिन रात गांव में ही गुजारनी पड़ेगी। इसके बाद ललित किशोर कार से उतरे और कीचड़ में ही पैदल चलते हुए ग्रामीणों के साथ गांव पहुंचे। वहां पहुंचने पर उन्होंने पैर धोए और ग्रामीणों के साथ बैठ गए।
ग्रामीणों ने बनाई दाल-बाटी
रात्रि में ग्रामीणों ने दाल-बाटी बनाकर सभी कार्यकर्ताओं को खिलाई। देर रात तक गांव में चौपल जमी रही। दूसरे दिन सुबह ग्रामीणों ने कीचड़ से कार को निकाला, तब आगे के गांवों में प्रचार के लिए निकले। इस चुनाव में सबसे ज्यादा वोट भी उन्हें को इसी गांव से मिले। चुनाव में ललित किशोर ने कांग्रेस प्रत्याशी सुहाग कपलाश को 2200 वोटों से हराया।