विधानसभा चुनाव की रणभेरी बजने के बावजूद भी जयपुर स्थित कांग्रेस मुख्यालय में सन्नाटा पसरा हुआ है। चुनावी साल में जो चहल-पहल प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में पहले देखने को मिलती थी, वो अब देखने को नहीं मिल रही है। टिकट वितरण के बाद जहां भाजपा मुख्यालय में लोग अपना आक्रोश व्यक्त करने पहुंच रहे हैं, वहीं पीसीसी मुख्यालय में पूरी तरह से शांति है।
पीसीसी मुख्यालय के बाहर जिन चाय की थडियों पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं का जमावड़ा आम दिनों में रहता था, वहां भी कार्यकर्ता चाय पर चर्चा करते हुए नजर नहीं आए। पत्रिका संवाददाता ने जब अंदर प्रवेश किया तो केवल दो पीसीसी पदाधिकारी ही दिखाई दिए और दोनों ही प्रदेश कांग्रेस के सचिव हैं। उपाध्यक्ष-महामंत्री या कोई अन्य पदाधिकारी नहीं दिखे। कारण जानना चाहा तो बताया गया कि चुनाव से जुड़े जो काम दिए गए हैं, उनमें व्यस्त हैं।
कांग्रेस से ज्यादा भाजपा प्रत्याशियों की चर्चा
कांग्रेस कार्यालय में बने पीसीसी मुख्यालय प्रभारी कक्ष और उपाध्यक्ष के कमरे में कुछ कार्यकर्ता मौजूद थे, जिनके बीच चर्चा भाजपा के टिकट वितरण के बाद उपजे माहौल को लेकर हो रही थी। भाजपा में कैसे आपसी झगड़े हो रहे हैं, इससे कुछ कार्यकर्ता खुश भी नजर आए तो कुछ कार्यकर्ताओं यह कहते हुए भी नजर आए कि जब हमारी लिस्ट जारी होगी तो उसके बाद यहां भी इसी तरह का माहौल देखने को मिलेगा। हो सकता है कि भाजपा में जो घटनाक्रम हो रहा है, उसी को देखते हुए कांग्रेस आलाकमान जान बूझकर प्रत्याशियों की सूची देरी से जारी करें।
कांग्रेस के इस रुख पर क्या है विश्लेषण
कांग्रेस के इस रुख पर वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक रमेश चंद्र अग्रवाल का कहना है कि कांग्रेस की ओर से अभी तक टिकटों की घोषणा नहीं की गई है। ऐसे में कार्यकर्ताओं में उत्साह नहीं है। भाजपा ने टिकटों की घोषणा कर दी है, लेकिन उसके बाद भी वहां भी असंतोष है। ऐसे में कांग्रेस इस माहौल का फायदा उठाना चाहती है। कांग्रेस आलाकमान यह देखना चाहता है कि भाजपा में क्या होता है, उसके बाद ही वह अपना फैसला लेगी।
क्या कांग्रेस के इस रुख से फायदा होगा?
कांग्रेस के इस रुख से फायदा या नुकसान होगा, यह तो चुनाव के बाद ही पता चलेगा। हालांकि, कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि कांग्रेस का यह रुख उसके लिए फायदेमंद हो सकता है। भाजपा में जो आपसी झगड़े हो रहे हैं, उससे कांग्रेस को फायदा हो सकता है। कांग्रेस को उम्मीद है कि भाजपा के इन झगड़ों से उसका वोट बैंक बढ़ेगा।