कांग्रेस के प्रदेश संगठन में विधानसभा चुनाव में गठबंधन को लेकर विवाद पैदा हो गया है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत,प्रभारी सुखजिंद्र सिंह रंधावा और प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा केंद्रीय संगठनपर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं कि इंडिया गठबंधन के कुछ दलों के लिएकुछ सीटों पर समझौता किया जाना चाहिए।
वहीं दूसरी और कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य सचिन पायलट और पंजाब प्रभारी हरीश चौधरीइसका खुला विरोध कर रहे हैं।दोनों नेताओं का कहना है कि कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में कोई गठबंधन करने की जरूरत नहीं है अपने स्तर पर सरकार बन सकती है। कांग्रेस के प्रभारी कह चुके हैं कि विधानसभा और लोकसभा में इंडिया गठबंधन से राजस्थान में समझौते करने और नहीं करने का निर्णय केंद्रीय नेतृत्व ही करेगा।
सीएम गहलोत सरकार के कई मंत्री, विधायक और पार्टी कार्यकर्ता भी जुबान में गठबंधन के पक्ष में नहीं हैं। पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं का कहना है कि यदि दूसरे दलों के लिए सीटें छोड़ी जाएगी तो उन सीटों पर कांग्रेस कमजोर हो जाएगी और पार्टी कार्यकर्ताओं में नाराजगी व्याप्त होगी, जिसका नुकसान कांग्रेस को उठाना पड़ सकता है।
राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी से भी कांग्रेस गठबंधन को लेकर चर्चा कर रही है। इसके अलावा अन्य कुछ दलों से भी बड़े नेताओं की बात चलना बताया जा रहा है, लेकिन कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सचिन पायलट, हरीश चौधरी और अन्य कई नेता अन्य किसी भी दल से गठबंधन का खुला विरोध कर रहे हैं।
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मणगढ़ सीट को सुरक्षित करने के लिए राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी और माकपा से समझौता करने की बात कह रहे हैं। वही सीएम गहलोत भी अपने कुछ समर्थकों को गठबंधन के माध्यम से चुनाव लड़कर जीतने की रणनीति के पक्ष में है। इस बात के लिए प्रभारी रंधावा भी दोनों नेताओं का समर्थन करने की बात कर रहे हैं।
फिलहाल विधानसभा के चुनाव में इंडिया गठबंधन के दलों से से कोई समझौता करने की बात तय नहीं हो पाई है। चर्चाएं जरूर है फैसला तो केंद्रीय नेतृत्व को ही करना है।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 2 सीट राष्ट्रीय लोक दल, 2 सीट लोकतांत्रिक जनता दल (शरद यादव) और एक सीट एनसीपी को दी थी। लेकिन इनमें से केवल एक सीट भरतपुर में राष्ट्रीय लोकदल से डॉ. सुभाष गर्ग चुनाव जीते थे।