राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 25 नवम्बर को होने वाले हैं और इसमें राजस्थान के विभिन्न विधानसभा सीटों पर राजनीतिक उथल-पुथल मची हुई है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 9 अक्टूबर को पहली लिस्ट में 41 उम्मीदवारों के नाम घोषित किए हैं, लेकिन कुछ सीटों पर भाजपा के चयन में विवाद उत्पन्न हो रहा है। इन विवादों के परिणामस्वरूप कई उम्मीदवार ने बगावत का आलंब उठाया है।
झोटवाड़ा विधानसभा सीट पर भी ऐसा ही माहौल बना हुआ है। यहाँ के भाजपा उम्मीदवार आशु सिंह सूरपुरा को पार्टी से टिकट नहीं मिलने से नाराजगी जता रहे हैं। उनके समर्थकों ने शनिवार को मशाल जुलूस निकाला, जिसमें वे अपने विरोध को प्रकट करते हुए सड़कों पर निकले। इस माहौल में एक और नेता ने भी बगावत की घोषणा की है।
आशु सिंह सूरपुरा के समर्थकों की नाराजगी की एक मुख्य कारण यह है कि उन्हें झोटवाड़ा विधानसभा सीट से भाजपा का टिकट नहीं मिला है। उनके समर्थकों ने झोटवाड़ा क्षेत्र के संदर्भ में जयपुर ग्रामीण सांसद कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ की ओर से खासतौर पर आपत्ति जताई है।
इस संदर्भ में, आशु सिंह सूरपुरा ने अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा कि वह निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी पहचान और उनकी संप्रेरणा ही भाजपा के कार्यकर्ताओं को ऊर्जा प्रदान करेगी।
झोटवाड़ा विधानसभा सीट पर राजपूत मतदाताओं की संख्या अधिक है। यहाँ की विशेषता यह है कि यहाँ की आम जनता में राजपूत समुदाय की भारी संख्या है। इसके अलावा, यहाँ के वोटर में जाट और यादव समाज के भी प्रतिनिधित्व के लिए वोट दर्ज किए जाते हैं। इसलिए राजपूत आशु सिंह सूरपुरा के निर्दलीय चुनाव लड़ने से भाजपा को नुकसान हो सकता है। यदि कांग्रेस किसी गैर राजपूत को टिकट देती है, तो राज्यवर्धन सिंह को भी बड़ा नुकसान हो सकता है। आशु सिंह सूरपुरा की बड़ी फैन फॉलोविंग है और यह एक महत्वपूर्ण कारण है कि उनके निर्दलीय चुनाव में कितनी ताकत है।
इस मामूले पर, सांचौर में भाजपा के 6 मंडल अध्यक्षों ने पार्टी के प्रत्याशी चयन के फैसले के खिलाफ आपत्ति जताई है और उन्होंने इस्तीफा दे दिया है। यह विवाद स्थानीय स्तर पर हो रहे चुनावी प्रक्रिया की महत्वपूर्ण घटना है जो इस क्षेत्र में चुनौतीपूर्ण बन सकती है।
आखिरकार, यह घटनाएँ राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 में एक महत्वपूर्ण ट्विस्ट प्रदान कर रही हैं। इन घटनाओं के परिणामस्वरूप, इस चुनाव में किस पार्टी को कितनी मुश्किलें उठानी होंगी, यह अभी से नहीं कहा जा सकता है, लेकिन यह स्थानीय स्तर पर हो रही राजनीतिक गतिविधियों की दृष्टि से महत्वपूर्ण है।