कांग्रेस की राजनीति में इन दोनों टिकट बांटने को लेकर दिल्ली में बड़ी राजनीति हो रही है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को अपनी राजनीति को जीवित रखने के लिए सक्रिय हैं। उन्होंने केंद्रीय नेतृत्व स्तर पर कई समझौते भी किए हैं इसके कुछ सार्थक परिणाम भी मिलने की संभावना बन गई है ।
वहीं दूसरी और कांग्रेस में संघर्ष की राजनीति करने वाले कांग्रेस की केंद्रीय कार्य समिति के सदस्य सचिन पायलट सोमवार को अपना राजनीतिक भविष्य संवारने की जगह टेरिटरी सेना में पदोन्नति प्राप्त करने के लिए मेजर का दिल्ली में टेस्ट दे रहे हैं। वे निश्चित तौर पर टेरिटरी सेना में पदोन्नत होकर मेजर भी बन जाएंगे।
लेकिन राजनीतिक तौर पर उन्होंने बारा में ईस्टर्न कैनाल को लेकर प्रदेश कांग्रेस कमेटी द्वारा भाजपा का वादा और कांग्रेस का जन जागरण अभियानका ऐलान कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के माध्यम से कर दिया है। सचिन पायलट का नहीं पहुंचाना उसे क्षेत्र में कई संदेश देने का काम करता है। आप चाहे कुछ भी हो लेकिन आज सचिन पायलट का नहीं जाना किस रणनीति का हिस्सा है यह तो आने वाला समय ही बता पाएगा।
सचिन पायलट ने सोमवार को ट्वीट जारी कर दिल्ली में टेरिटोरियल आर्मी मुख्यालय पर जाकर मेजर की परीक्षा देने की बात को उजागर किया है। पर उनका यह संदेश आम लोगों किस प्रकार से लेंगे यह तो आने वाला समय स्पष्ट करेगा। सचिन पायलट की चुप्पी कब टूटेगी इसके लिए सभी को इंतजार है। उन्होंने अजमेर से जयपुर तक पदयात्रा कर संदेश देने का काम किया था। इसके बावजूद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आरपीएससी में और निगम बोर्ड में कई नियुक्तियां की। यह बात भी सही है कि गहलोत को अपनी गलतियों को स्वीकार कर माफी भी मांगनी पड़ी।