Saturday, October 12, 2024

भाजपा अपने मतदाताओं को दे जवाब ? आखिर सिद्धांत और नियम क्यों नहीं अपनाए, सत्ता के लिए सब कुछ बदला और उतरे दिए प्रत्याशी

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भाजपा ने टिकट वितरण से पहले बहुत सारे दावे किए थे कि वह परिवारवाद और पार्टी अपने सिद्धांतों को अपना कर ही प्रत्याशी घोषित करेगी। सत्ता लाने की ललक और जीत के लिए पार्टी के नेताओं ने सारे नियम ताक में रख दिए। दो सूची जारी होने के बाद देखा जाए तो यह स्पष्ट होता है कि कल तक कांग्रेस में रहे लोग भाजपा के आज उम्मीदवार बनाकरआम लोगों के सामने वोट मांग रहे हैं। भाजपा ने 124 प्रत्याशियों में से 15 प्रतिशत का आपराधिक रिकॉर्ड है। पहली सूची में से 8 और अब दूसरी सूची में से 10 प्रत्याशियों परअपराधिक मामले दर्ज हैं।

भाजपा राजस्थान प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह ने कहा था कि संगठन में काम करने वाले पदाधिकारी चुनाव नहीं लड़ेंगे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। सांसद भागीरथ चौधरी अभी प्रदेश किसान मोर्चा के अध्यक्ष भी हैं। इन्हें किशनगढ़ से मैदान में उतारा गया। इसी तरह पार्टी में प्रदेश महामंत्री भजनलाल शर्मा को सांगानेर, दीया कुमारी को विद्याधर नगर से टिकट दिया है । प्रदेश उपाध्यक्ष संतोष अहलावत को सूरजगढ़ से,जितेन्द्र गोठवाल को खंडार, प्रदेश मंत्री हीरालाल नागर को सांगोद, कृष्णा कटारा को बागीदौरा से टिकट दिया है।
कांग्रेस से हाल ही भाजपा में शामिल हुई ज्योति मिर्धा को नागौर से और धौलपुर से टिकट दिया है। पार्टी से बगावत कर पूर्व के विधानसभा चुनाव लड़ने वाले निर्दलीय नवलगढ़ से विक्रम सिंह जाखल को, कोटपूतली में हंसराज भारद्वाज को,बानसूर में देवी सिंह को, मांडलगढ़ से उदयलाल भड़ाना को और थानागाजी से हेमसिंह भड़ाना को चुनाव मैदान में उतारा है।

भाजपा में कोई योगदान नहीं इसके बावजूद उन्हें पार्टी ज्वाइन करने के साथ ही टिकट दे दिया गया है। इसमें सेवानिवृत्त आईएएस चन्द्रमोहन मीणा को बस्सी से टिकट और सीएलसी कोचिंग के मालिक श्रवण चौधरी को फतेहपुर विधानसभा क्षेत्र से टिकट दिया है। विरोध प्रकट करने वाले पूर्व उप राष्ट्रपति स्वर्गीय भेरू सिंह शेखावत के दामाद को विद्याधर नगर सीट से विधायक नरपत सिंह राजवी को चित्तौड़गढ़ से टिकट दे दिया। यहां से पिछले दो बार से विधायक चन्द्रभान सिंह आक्या का टिकट काट दिया गया। भाजपा को जीत का दवा देने करने वाले नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने हारने के डर अपनी सीट चूरु छोड़कर अपनी पुरानी विधानसभा क्षेत्र तारानगर से चुनाव लड़ने के लिए चले गए हैं।

भाजपा कहने को तो वंशवाद का विरोध करती है लेकिन इस बार वंशवाद को पूरा बढ़ावा दिया गया है। कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के बेटे विजय बैंसला देवी-उनियारा से प्रत्याशी,मुण्डावर से प्रत्याशी मंजीत धर्मपाल चौधरी (मौजूदा विधायक) के पिता धर्मपाल चौधरी विधायक रह चुके हैं। डीग-कुम्हेर सीट से फिर शैलेश सिंह को उतारा। इनके पिता दिगम्बर सिंह भाजपा सरकार में चिकित्सा मंत्री थे। नसीराबाद से प्रत्याशी रामस्वरूप लांबा (मौजूदा विधायक) हैं। इनके पिता प्रो. सांवरलाल जाट केन्द्र और राज्य दोनों सरकारों में मंत्री रह चुके। धरियावाद से प्रत्याशी कन्हैयालाल मीणा को टिकट दिया गया। इनके पिता गौतमलाल मीणा पूर्व विधायक रह चुके हैं। प्रतापगढ़ से प्रत्याशी हेमंत मीणा को इस बार भी चुनाव मैदान में उतारा, पिछली बार यहीं से हार गए थे। इनके पिता नंदलाल मीणा पूर्व सांसद रहे और तत्कालीन राज्य सरकार में मंत्री रहे। राजसमंद से किरण माहेश्वरी की जगह उनकी बेटी दीप्ति माहेश्वरी को उपचुनाव में प्रत्याशी बनाया। अब फिर से वही प्रत्याशी हैँ।नाथद्वारा से प्रत्याशी विश्वराज सिंह मेवाड़ के पिता महेन्द्र सिंह मेवाड़ पूर्व सांसद थे। भाजपा की सदस्यता ग्रहण करने के तीन दिन बाद ही टिकट दिया है।

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