कांग्रेस ने बागियों को मनाने के अभियान को तेज कर दिया है इसके लिए अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के स्पेशल पर्यवेक्षक मुकुल वासनिक ने 2 दिन से जयपुर में डेरा डाल दिया है। मंगलवार को कांग्रेस के वार रूम में मुकुल वासनिक ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा और मध्य प्रदेश के चुनाव प्रभारी भंवर जितेंद्रसिंह के साथ लगभग एक घंटा गुप्त मंत्रणा की। प्रदेश में कांग्रेस बागियों को संदेश पहुंचाने और चुनाव मैदान से हटाने और कुछ को निर्दलीय लड़वाने की रणनीति पर गहनता से विचार किया गया।
मौजूदा स्थिति में कांग्रेस के दो दर्जन बागी खड़े हुए हैं और इन्हें चुनाव मैदान से हटाए जाने की पुरजोर कोशिश शुरू कर दी गई है। विभिन्न विधानसभा क्षेत्र में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के नेताओं को रवाना किया है। गुजरात के पीसीसी अध्यक्ष शक्तिसिंह गोहिल, वरिष्ठ नेता शकील अहमद खान व हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा को जिम्मेदारी सौंपी है। हुड्डा अभी जयपुर नहीं आए, लेकिन अन्य तीनों नेता सोमवार को बागी वाली सीटों पर पार्टी प्रत्याशियों से चर्चा कर बागियों के नफा-नुकसान का फीडबैक लिया। बताया जा रहा है कि अब पार्टी के वोट काटने वाले बागियों की मनुहार मंगलवार से तेज कर दी है। बागियों में संगरिया सीट पर पूर्व विधायक डॉ. परमनवदीप, शिव में जिलाध्यक्ष फतेहखां, नागौर में पूर्व मंत्री हबीबुर्रहमान, सिवाना में कांग्रेस के जोनल इंचार्ज सुनिल परिहार, लूणकरणसर में पूर्व मंत्री वीरेंद्र बेनीवाल, जालोर में पूर्व विधायक रामलाल मेघवाल, जैतारण में पूर्व संसदीय सचिव दिलीप चौधरी, मनोहर थाना में पूर्व विधायक कैलाश मीना और अजमेर दक्षिण सीट पर पीसीसी सदस्य हेमंत भाटी सहित कई नेता शामिल हैं।
सचिन पायलट को इस रणनीति में फिलहाल दूर रखा है। अब यह भी कोशिश की जा रही है कि जब सचिन पायलट मध्य प्रदेश चुनाव प्रचार से वापस जयपुर आ जाएंगे तो बुधवार को मुकुल वासनिक ने उनसे भी बातचीत करेंगे। बुधवार और गुरुवार को बागियों को बैठने का सिलसिला और तेज होगा। कांग्रेस की नीति कितनी कारगर होगी यह तो 9 नवंबर को ही उजागर हो सकेगी।
प्रदेश में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी,आजाद समाज पार्टी काशीराम, बहुजन समाज पार्टी और आप पार्टी के उम्मीदवार कांग्रेस के लिए हितकारी होंगे या नहीं इस पर भी गहनता से विचार किया गया। इन सब राजनीतिक पार्टियों के लगभग 50 से अधिक उम्मीदवार कांग्रेस को सहयोग करेंगे या फिर नुकसान पहुंचाएंगे। निश्चित तौर पर 2 दिन की रणनीति से कांग्रेस को कुछ राहत जरूर मिल सकती है। लेकिन इसके लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट की सक्रियता और ईमानदारी के प्रयास करने की जरूरत है। इसके लिए निश्चित तौर पर मुकुल वासनिक और भंवर जितेंद्र सिंह की भूमिका है इसकी रिपोर्ट राहुल गांधी और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन दोनों नेताओं से नियमित रूप से ले रहे होंगे । आगामी 2 दिन की सक्रियता निश्चित तौर पर कांग्रेस के बागियों को संतुष्ट कर हटाने में सहयोगी बन सकती है !
चलो कांग्रेस में बागियों को हटाने की मुहिम बुधवार और गुरुवार को और तेज की जानी चाहिए। नहीं तो 15 से 16 विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ेगा। यह नुकसान सरकार को फिर से रिपीट करने वाले प्रयास व्यवधान पैदा करने का काम करेगा।
खैर बात पते की है कि सीएम गहलोत और सचिन पायलट के संयुक्त प्रयास किए किए जाने की जरूरत है। इसके लिए सेतु मुकुल वासनिक और भंवर जितेंद्र सिंह कितनी अहम भूमिका निभा पाएंगे इसका फैसला 9 नवंबर को साफ दिखेगा। राहुल जी और खड़गे जी ध्यान रखना जरूरी है नहीं तो भविष्य में पछताने के अलावा कुछ नहीं रहेगा। समझो, भूलो मत, करो कारगर उपाय नहीं तो सरकार सरकार रिपीट करने का रहेगा सपना अधूरा । जब ही तो कह रहा हूं समझो भूलो मत इसके लिए जो भी करना है करो यह समय फिर लौट के नहीं आएगा।