राजस्थान में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टियां दो स्तर पर चुनाव लड़ रहीं हैं… एक मुद्दों के आधार पर, तो दूसरा जाति पर. राजनीतिक दल जातिगत समीकरण को देखते हुए ही चुनावी मैदान में ताल ठोक रहे हैं. दरअसल, राजस्थान में जाति फैक्टर बहुत बड़ा है और यह कई सीटों पर नतीजों को प्रभावित करता है.
बात चाहे भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की हो या फिर कांग्रेस की, दोनों ही दलों ने टिकट देते वक्त जातिगत समीकरण का काफी ध्यान रखा है. जिस सीट पर जिस पार्टी का उम्मीदवार है, वहां उसी वर्ग के उम्मीदवार को तवज्जो दी गई है. आइए जानते हैं दोनों दलों की स्थिति और किसने किस जाति को ज्यादा महत्व दिया है. राजस्थान विधानसभा में 200 सीटें हैं और यहां सबसे ज्यादा जाट और एससी-एसटी का दबदबा रहा है. इसके बाद राजपूतों का नंबर आता है. कांग्रेस और बीजेपी ने इसे ध्यान में रखते हुए टिकट बांटे हैं.
किस समाज को मिले कितने उम्मीदवार
बता दें कि भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस ने सभी 200 विधानसभा सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है. कांग्रेस ने जाट समाज से 36 प्रत्याशियों को मौका दिया है, जबकि बीजेपी ने 33 को टिकट दिया है. बात SC वर्ग की करें तो कांग्रेस ने 34 सीटों पर इन्हें उतारा है, तो बीजेपी ने भी इतने ही एससी को टिकट दिया है. कांग्रेस ने 33 ST उम्मीदवारों को टिकट दिया है, जबकि बीजेपी ने 30 को मौका दिया है.
कांग्रेस ने जहां 17 सीटों पर राजपूत प्रत्याशी उतारा है, तो वहीं बीजेपी ने 25 राजपूत उम्मीदवारों को मौका दिया है. कांग्रेस ने 16 ब्राह्मण उम्मीदवार उतारे हैं, तो बीजेपी ने 20 ब्राह्मणों को टिकट दिया है. बनिया समाज से 11 उम्मीदवार कांग्रेस ने उतारे हैं तो बीजेपी ने भी इतने ही प्रत्याशियों को मौका दिया है. कांग्रेस ने 11 गुर्जरों को मैदान में उतारा, तो बीजेपी ने 10 को. माली समाज की बात करें तो कांग्रेस ने 4 को टिकट दिया है, जबकि बीजेपी ने 3 को.
टिकट बंटवारे में महिलाओं की बात करें तो यहां कांग्रेस बीजेपी से आगे है. कांग्रेस ने 28 महिलाओं को टिकट दिया है, जबकि बीजेपी ने 21 महिला प्रत्याशियों को उतारा है. मुस्लिम चेहरे की बात करें तो राजस्थान विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी इससे दूर रही है. उसने एक भी मुस्लिम उम्मीदवार नहीं उतारा है. इस मामले में कांग्रेस उससे बहुत आगे है. कांग्रेस ने 15 मुस्लिमों को टिकट दिया है.
25 नवंबर को मतदान होना है ..ऐसे में देखने वाली बात होगी कि इस पार्टियों का ये कास्ट फैक्टर उन्हे कितनी सीट दिला पाता है