सवाई माधोपुर विधानसभा चुनावों के समर में सियासी दाव पेच पूरी तरह से हावी है। जिसके चलते बड़ा उलट फेर भी देखने को मिला। 101 भाजपा कार्यकर्ता तथा पदाधिकारियों ने अचानक अपने इस्तीफे दे डाले और निर्दलीय प्रत्याशी आशा मीणा के समर्थन में खड़े हो गए। भाजपा द्वारा राज्यसभा सांसद डॉ. किरोड़ी लाल मीणा को प्रत्याशी बनाए जाने से भाजपा के कार्यकर्ता तथा पदाधिकारियो में जबरदस्त नाराजगी है जो इन इस्तीफ़ों के रूप में सामने आई है। प्रदेश भाजपा अनुशासन समिति के अध्यक्ष ओंकार सिंह लखावत ने एक आदेश जारी करते हुए भाजपा प्रदेश कार्य समिति की सदस्य आशा मीणा को सदस्यता से निष्कासित कर दिया। इसको लेकर 101 भाजपा कार्यकर्ता तथा पदाधिकारियो ने भाजपा की सदस्यता से ही अपना इस्तीफा दे दिया । भाजपा पदाधिकारी ने इस्तीफा देने के दौरान कहा कि डॉक्टर किरोड़ी को भाजपा प्रत्याशी बनाए जाने से वे बेहद नाराज है और अब निर्दलीय प्रत्याशी आशा मीणा के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करेंगे। स्तीफा देने वालों में प्रमुख रूप से हेमंत सिंह राजावत, जिला उपाध्यक्ष भाजपा, रघुवीर मीणा, सदस्य पंचायत समिति और विजय शंकर मीणा, जिला अध्यक्ष एसटी मोर्चा रहे। आने वाले दिनों में कुछ और स्तीफ़ों की संभावना भी व्यक्त की जा रही है।
जिस रफ़्तार से भाजपा की बागी आशा मीणा अपना समर्थन बढ़ा रहीं हैं उससे इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि डॉ. किरोड़ी और आशा मीणा के कार्यकर्ताओं के बीच मनमुटाव सड़कों पर संघर्ष का रूप ले ले। इस राजनीतिक उठा-पटक से जहां डॉ. किरोड़ी परेशान हैं वहीं कांग्रेस के मौजूदा विधायक दानिश अबरार मीणा समुदाय के आशा मीणा के पीछे लामबंद होने और मीणा वोटों का बिखराव होने से फायदे में रहने की उम्मीद कर रहे हैं। आशा मीणा के इतना प्रभावशाली होने से पहले CM गहलोत से नाराज गुर्जर समाज की एक तरफा भाजप को वोट देने की तैयारी थी लेकिन अब मीणा समाज का बढ़ता प्रभुत्व देखकर गुर्जर समाज का एक धड़ा दानिश के पक्ष में आ सकता है।
सवाई माधोपुर की राजनीति समझने वाले लोग यह मानते हैं कि अगर आशा मीणा ने अपने प्रभाव को बढ़ाने के अलावा यदि अपने बूथ मैनेजमेंट पर भी ध्यान दे लिया तो वे भाजपा और कांग्रेस दोनों पर भारी पड़ सकती हैं।