Why resignation from Nitish Cabinet : 13 जून को नीतीश कैबिनेट की अहम बैठक से कुछ घंटे पहले मंत्रिमंडल से अनुसूचित जाति-जनजाति कल्याण मंत्री संतोष सुमन उर्फ संतोष मांझी ने इस्तीफा दिया। लेकिन, यह खिचड़ी तो 13 अप्रैल को ही चूल्हे पर चढ़ गई थी
यह कोई गणित नहीं है, लेकिन तारीख मायने तो रखती है। ठीक दो महीने पहले, 13 अप्रैल को बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्य की नीतीश कुमार सरकार के घटक हिन्दुस्तानी आवामी मोर्चा (हम) के प्रमुख जीतन राम मांझी ने भारतीय जनता पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष व देश के गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। अब 13 जून को जीतन राम मांझी के बेटे और हम की ओर से नीतीश सरकार में शामिल इकलौते मंत्री संतोष सुमन उर्फ संतोष मांझी ने इस्तीफा दे दिया। इन दो महीनों के दौरान क्या खिचड़ी पकी, वह जानना रोचक है।
शाह से मिलकर क्या बोला था, यह याद करें
गृह मंत्री अमित शाह से 13 अप्रैल को मुलाकात के बाद कहा था कि दिल्ली में वह केंद्र सरकार से माउंटेन मैन दशरथ मांझी को भारत रत्न देने की मांग करने आए हैं। जीतन राम मांझी ने कहा था- “हमने गृह मंत्री से माउंटेन मैन के बारे में बात की। हमलोगों कई वर्षों से बाबा दशरथ मांझी को भारत रत्न देने की मांग कर रहे हैं। पहाड़ को काट कर सड़क बनाने वाले बाबा दशरथ मांझी ने दुनिया में मिसाल पेश की।” जब उनसे पूछा गया कि एनडीए में जा रहे हैं, तो कहा- “मैंने प्रण लिया है कि मैं नीतीश कुमार के साथ रहूंगा। CM नीतीश में प्रधानमंत्री बनने के सारे गुण हैं। वह विपक्षी दलों को एकजुट करने का ईमानदार प्रयास कर रहे हैं।”
फिर क्या होता गया, जो यह नौबत आ गई
ऐसा नहीं कि जीतन राम मांझी ने 13 अप्रैल से पहले महागठबंधन की चट्टानी एकता पर दोतरफा बात नहीं की थी। उन्होंने कभी महागठबंधन की चट्टानी एकता की बात की तो अपने बेटे संतोष सुमन को उप मुख्यमंत्री के काबिल बताने से भी नहीं चूके। लेकिन, 13 अप्रैल के बाद परिस्थितियां कई बार बदलीं। ऐसी बदलीं कि कोर कमिटी की इस महीने हुई बैठक के दौरान हिन्दुस्तान आवामी मोर्चा ने तय कर लिया कि महागठबंधन में बने रहने या नहीं रहने को लेकर फैसला जीतन राम मांझी और उनके मंत्री बेटे संतोष सुमन ले लें। 8-9 जून को जीतनराम मांझी ने स्वीकार किया कि वह लोकसभा की 40 सीटों में से पांच पर अपना प्रत्याशी देना चाहते हैं, लेकिन मीडिया के सामने यह नहीं माना कि उन्होंने ऐसा नहीं होने पर महागठबंधन छोड़ने का फैसला लेने की तैयारी की है। तैयारी तो थी। सिर्फ पांच सीटों का ही मसला नहीं था। 13 अप्रैल को शाह से मुलाकात के बाद एनडीए से नजदीकियां बढ़ीं और महागठबंधन में विशेष तौर पर राजद से तल्खी बढ़ी। 12 अप्रैल को जीतन राम मांझी ने यह स्वीकार कर लिया कि उनकी पार्टी को विपक्षी दलों की बैठक का बुलावा अबतक नहीं मिला है। और फिर, 13 जून को जब संतोष सुमन उर्फ संतोष मांझी ने बिहार की नीतीश सरकार के अनुसूचित जाति-जनजाति कल्याण मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया।