Tuesday, December 24, 2024

खुद अपनी गलती से हारी कांग्रेस राजस्थान में ….

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राजस्थान में चुनाव संपन्न हो चुके हैं और भाजपा जीत हासिल कर अपनी सरकार बना ली है हर 5 साल का जो रिवाज है वह कायम है 5 साल कांग्रेस की सरकार रही और अब 5 साल बीजेपी की सरकार रहेगी इस बार चुनाव के अंदर देखा गया था कि राजस्थान में विधानसभा चुनाव को लेकर जो गारण्टियाँ चल रही थी जो योजनाएं चल रही थी उसमें साफ तौर पर देख रहा था कि कांग्रेस सत्ता में वापस आ सकती है मगर कुछ गलतियां ऐसी हो गई जिसको लेकर कांग्रेस सत्ता से बाहर हो गई मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का ओवर कॉन्फिडेंट होना यह खासतौर से जाहिर करता है कि कांग्रेस उम्मीद से कुछ और ही लेकर बैठी हुई थी दरअसल चुनाव आने से पूर्व ही यह अंदेशा लगाया गया था की प्रदेश के अंदर सरकार रिपीट होना संभव है इसको संभव जरूर कराया था मगर कुछ ऐसी गलतियां हो गई जिससे सरकार नहीं बन पाई मुख्य कारण मुख्यमंत्री के आसपास के लोग।
दर्शन कांग्रेस ने सत्ता में आते ही विभिन्न योजनाओं का काम करना शुरू कर दिया था। मगर एक सबसे बड़ी परेशानी उसे समय थी डबल इंजन की सरकार की क्योंकि खुद अशोक गहलोत और साथ के साथ सचिन पायलट । जैन तरफ सचिन पायलट अपने अपने दम पर जीत हासिल करके आने की बात कर रहे थे तो वही तजुर्बे के आधार पर अशोक गहलोत चलाने की बात कर रहे थे इस पर केंद्र अल्लाह का मान्य निर्णय लेते हुए अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री और सचिन पायलट को उपमुख्यमंत्री बनाया था उसे समय मान यही जा रहा था कि यह दोनों मिलकर कैसे ना कैसे सरकार चला लेंगे मगर सचिन पायलट का रवैया अशोक गहलोत के प्रति अलग सर और यह उजागर 2020 में हुआ जब सचिन पायलट अपने कुछ विधायकों के साथ मानेसर जा बैठे इतना ही नहीं उसके बाद जो निर्णय लिए गए सचिन पायलट को प्रदेश अध्यक्ष और डिप्टी सीएम के पद से हटा दिया गया साथ के साथ उनके साथ जो मंत्री गए थे उनको भी मंत्रिमंडल से बर्खास्त करवा दिया गया था लड़ाई अभी की नहीं पहले के ही चल रही है इसके बाद समय-समय पर सचिन पायलट ने अपनी ही सरकार को घेरा इतना नहीं जिस तरीके से सरकार की अभी योजनाएं जो चल रही थी वह योजनाएं आम जनता तक पहुंच रही थी खुद सचिन पायलट भी इस चीज को मान रहे थे विपक्ष भी इस बात को मन रहता है कि अशोक गहलोत की यह योजनाएं ऐसी खतरनाक है कि कांग्रेस का इस बार आना तय है मगर कुछ कमियां टिक में वितरण औरब्यूरोक्रेसी पर कोई भी दबाव नहीं डालना शायद यही अशोक गहलोत के लिए भारी पड़ गया अशोक गहलोत ब्यूरोक्रेसी पर बिल्कुल भी नहीं हाथ डालते थे अगर कोई अधिकारी अपनी मनमर्जी कर रहा है तो उसकी मां मर्जी चलने देते थे इतना नहीं विधायकों को भी खुली छूट दे रखी थी इस बार जनता का गुस्सा जो था वह विधायकों के काम को लेकर था सरकार के लेकर सरकार के कामों को लेकर जनता खुश थी मगर विधायक से खुश नहीं थी यही कारण रहा कि विधायकों को जनता ने नापसंद किया भाजपा के पास कोई मुद्दे नहीं थे लेकिन जो रिवाज चला आया है 5 साल भाजपा 5 साल कांग्रेस शायद इसी रिवाज के आधार पर ही जनता ने बीजेपी को मौका दिया है खुद प्रधानमंत्री इन योजनाओं को देखते हुए राजस्थान में लगातार आते रहे इनका में मुद्दा जो सामने आया उसे साफ तौर पर जाहिर हो गया है कि कांग्रेस के अंदर एकता नहीं है।

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