पुणे: देश में 31 मार्च से लेकर 28 मई तक चारों तरफ आईपीएल छाया हुआ था. लेकिन पुणे पुलिस का दिमाग कहीं और लगा हुआ था. पुलिस महकमे की दिलचस्पी आईपीएल से ज्यादा उस पर लगाई जा रही सट्टेबाजी पर थी. पुलिस को खबर मिली थी कि पुणे शहर के आलीशान आवासीय सोसाइटी और अपार्टमेंट में यह रैकेट चलाया जा रहा है. पुलिस ने पूरी तैयारी की और पिंपरी चिंचवाड़, पुणे शहर की 12 जगह पर छापे मारे और 53 लोगों को गिरफ्तार किया. यह पुलिस की आईपीएल के एक सीजन की सबसे बड़ी धरपकड़ मानी जा रही है.
गिरफ्तार लोगों में ज्यादातर बाहरी
मामले की तफ्तीश में जुटी टीम ने जब लोगों को गिरफ्तार किया तो पाया कि उनमें से ज्यादातर लोग यानी करीब 40 लोग पुणे शहर से ताल्लुक नहीं रखते थे. 25 से 50 की उम्र के ये लोग छत्तीसगढ़, बिहार और पंजाब से विशेषतौर पर पुणे सिर्फ सट्टा खेलने के लिए आए थे. जांच में सामने आया कि हिरासत में लिए गए लोग जो सटोरिए थे ऑनलाइन प्लेटफार्म के जरिए सट्टा खिलाते थे. खास बात यह है कि यह प्लेटफार्म भारत के बाहर से होस्ट होते हैं. पुलिस ने छापे में मोबाइल फोन और लैपटॉप जब्त किए जिसके जरिये यह पूरा खेल खेला जा रहा था.
कैसे खिलाया जाता था सट्टा
सट्टा खिलाने के लिए सटोरिये सबसे पहले ऑनलाइन अंतरराष्ट्रीय सट्टेबाजी प्लेटफार्म पर बुकी अपना अकाउंट खोलते हैं. आमतौर पर इन सटोरियों का एक समूह कुछ दिनों के लिए कोई फ्लैट किराए पर लेता था और फिर वहीं से यह पूरा काम करते थे. जांच अधिकारी बताते हैं कि सट्टा लगाने की प्रक्रिया में सटोरिये आमतौर पर एक साथ एक जगह से काम करना पसंद करते हैं ताकि वह अपने संसाधनों को साझा कर सकें और एक दूसरे की मदद कर सकें. मसलन अगर एक सटोरिये के पास कई लोगों ने सट्टा लगाने के लिए बोल दिया है तो दूसरा उसकी मदद करेगा और कुछ ग्राहकों के लिए सट्टा लगाने का काम करने लगता है.
हर कदम, हर एक्शन पर दांव
पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक सट्टा लगाने वाले फोन ऐप पर दांव की दरें देखते हैं. जो दो तरह की होती हैं ‘ले’ और ‘बैक’. जब कोई व्यक्ति किसी बात के होने पर दांव लगाता है तब वह बैक होता है और जब किसी बात के नहीं होने पर दांव लगाया जाता है तो उसे ले कहा जाता है. जिन ऐप्स पर यह सट्टेबाजी होती है वह एक कंप्यूटर प्रोग्राम है जहां सट्टेबाजी की दरें तय रहती हैं. टीम के जीतने हारने से लेकर चौके-छक्का, आउट होना, एक गेंद पर कितने रन, कौन सी टीम कितना स्कोर करेगी, बल्लेबाज कितने रन बनाएगा या गेंदबाज कितने विकेट लेगा, टॉस कौन जीतेगा तक पर दांव लगता है.
पैसों का लेनदेन पूरी तरह से नकद होता है ताकि लेनदेन का कोई सबूत नहीं रहे. अक्सर यही लेनदेन विवाद की वजह भी बनता है. जांच में यह भी सामने आया कि जिन अंतरराष्ट्रीय प्लेटफार्म के जरिए इस सट्टे का संचालन हो रहा है उनमें से मुख्यतौर पर यूरोप और मिडिल ईस्ट से हैं. यही नहीं इस मामले में एक दिलचस्प बात सामने आई है कि सटोरिये फोन आधारित ऐप का इस्तेमाल इसलिए करते हैं क्योंकि टीवी पर हो रहे टेलीकास्ट से कुछ देर पहले उस पर प्रसारण देखा जा सकता है.