राजस्थान कांग्रेस में फिर घमासान तेज होने के आसार हैं। इस बार मामला नेता प्रतिपक्ष के लिए है, जिसमें पायलट खेमा मजबूत दावेदारी पेश कर रहा। क्या कांग्रेस नेतृत्व पायलट पर भरोसा जताएगा या फिर बीजेपी आलाकमान की तरह कोई चौंकाने वाला नाम सामने आएगा?
जयपुर : राजस्थान में बीजेपी की नई सरकार का गठन हो गया है। सीएम-डिप्टी सीएम का शपथ ग्रहण होने के बाद मंत्रिमंडल को लेकर माथापच्ची शुरू हो गई है। उधर बात करें कांग्रेस की तो वहां नेता प्रतिपक्ष को लेकर हलचल तेज है। नेता प्रतिपक्ष के लिए कांग्रेस के सीनियर नेताओं ने लॉबिंग शुरू कर दी है। पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट, पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा सहित कई नेता इस पद की दौड़ में हैं। हालांकि, पूर्व सीएम अशोक गहलोत सबसे सीनियर हैं लेकिन वे नेता प्रतिपक्ष बनने के इच्छुक नजर नहीं आ रहे। बीजेपी के पहले भी दो कार्यकाल में अशोक गहलोत चुनाव जीते थे लेकिन वे नेता प्रतिपक्ष नहीं बने थे। हालांकि, गहलोत खेमे की नजर जरूर इस पद पर है।
हाईकमान करेगा फैसला – सुखजिंदर सिंह रंधावा
कुछ दिनों पहले मीडिया से बात करते हुए कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने कहा कि कांग्रेस में कई सीनियर नेता हैं। विधानसभा चुनाव में भले ही बहुमत हासिल नहीं हुआ हो लेकिन कांग्रेस का प्रदर्शन सम्मानजनक रहा है। प्रदर्शन को देखते हुए संगठन में कोई बदलाव करने की जरुरत नहीं है। रंधावा ने कहा कि कई वरिष्ठ नेता चुनाव जीते हैं। नेता प्रतिपक्ष का फैसला हाईकमान ही करेगा।
कौन-कौन हैं दौड़ में शामिल
नेता प्रतिपक्ष बनने की दौड़ में पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट और पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा सबसे आगे माने जा रहे हैं। कांग्रेस के कई विधायक और भी हैं जो नेता प्रतिपक्ष बनने के लिए सियासी गोटियां बिठाने का प्रयास कर रहे हैं। इनमें पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश चौधरी, राष्ट्रीय कार्यसमिति के सदस्य महेंद्रजीत सिंह मालवीय, पूर्व सभापति राजेंद्र पारीक, पूर्व कैबिनेट मंत्री शांति धारीवाल और हरिमोहन शर्मा शामिल हैं।
कांग्रेस में फिर से गुटबाजी को हवा
नेता प्रतिपक्ष के चयन को लेकर कांग्रेस में एक बार फिर गुटबाजी की हवा उड़ने लगी है। पिछले चार साल तक कांग्रेस में अशोक गहलोत और सचिन पायलट गुट में जमकर खींचतान हुई थी। दोनों गुट के नेताओं ने एक दूसरे के खिलाफ जमकर बयान दिए। नकारा, निकम्मा, गद्दार और कोरोना सहित कई तरह के शब्दों का इस्तेमाल किया गया। अब नेता प्रतिपक्ष पद के लिए दोनों गुटों में खींचतान शुरू हो गई है। फैसला कांग्रेस हाईकमान को करना है। देखना यह है कि कांग्रेस हाईकमान किसे तवज्जो देता है।