भाजपा के पूर्व विधायक एवं दौसा प्रत्याशी शंकर शर्मा ने पार्टी की प्रदेश मंत्री व जिला अध्यक्ष सहित आधा दर्जन दावेदारों पर भितरघात का आरोप लगाते हुए अनुशासन समिति के अध्यक्ष अविनाश राय खन्ना को पत्र भेजा है। पत्र में उन्होंने भितरघात करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
प्रत्याशी शंकर शर्मा ने अपनी हार का ठीकरा भाजपा प्रदेश मंत्री नीलम गुर्जर, पूर्व जिलाध्यक्ष डा. रतन तिवाड़ी और टिकट की दौड़ में शामिल अन्य पदाधिकारियों में पूर्व पालिकाध्यक्ष सुरेश घोषी-पुष्पा घोषी, पूर्व सभापति राजकुमार जायसवाल, एसटी मोर्चा प्रदेश महामंत्री महेंद्र चांदा, पूर्व पार्षद पति ऋषभ शर्मा, पूर्व जिला उपाध्यक्ष, लोकेश शर्मा, राजाराम मीणा, राजेंद्र सिंघा पर फोड़ा है। पत्र में कहा कि इन लोगों ने बार-बार आग्रह के बाद भी नाम मात्र को एक दो बार दिखावे के रूप में ही पार्टी का प्रचार किया। प्रदेश मंत्री नीलम गुर्जर व पूर्व जिला अध्यक्ष डॉक्टर रतन तिवारी ने कांग्रेस के पक्ष में सक्रिय मीटिंग की। उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी के पक्ष में पैसे का वितरण किया। अपने-अपने समाज में जाकर पार्टी विरोधी वातावरण भी बनाया कि प्रत्याशी शंकर शर्मा विजय हुए तो आगे अपने समाज को पार्टी का टिकट ही नहीं मिलेगा। जातिगत वैमनष्यता फैलाई और व्यक्तिगत स्तर पर गुटबाजी फैलाते हुए भाजपा के प्रति दुष्प्रचार करने से लोगों में संदेश गया कि दौसा में भाजपा का संगठन ही नहीं है। कांग्रेस के एजेंट व सक्रिय प्रतिनिधि के रूप में कांग्रेस के पक्ष में मीटिंगों का आयोजन किया। पत्र में कांग्रेस प्रत्याशी के पक्ष में पैसे वितरण का भी आरोप लगाया है। प्रत्याशी शंकर शर्मा के इस पत्र के बाद दौसा में इस बात के चर्चे होने लगे हैं कि पार्टी की सोशल मीडिया टीम ने भी शंकर शर्मा के प्रचार में कोई खासी रुचि नहीं दिखाई। अब देखना यह है कि शंकर शर्मा द्वारा अनुशासनात्मक समिति को लिखे इस पत्र पर आला कमान क्या कार्रवाई करता है?