गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर गुरुवार को पद्म पुरस्कारों का ऐलान किया गया।
असम की रहने वाली देश की पहली महिला महावत पार्वती बरुआ और जागेश्वर यादव समेत 34 हस्तियों को अवॉर्ड दिया गया है। इसके अलावा सूची में चार्मी मुर्मू, सोमन्ना, सर्वेश्वर, सांगथाम समेत कई बड़े नाम शामिल हैं।
इससे पहले 23 जनवरी को सरकार ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने का ऐलान किया था।
पद्म पुरस्कार पाने वाली मुख्य हस्तिया…
- पार्वती बरुआ
असम के गौरीपुर के एक राजघराने से ताल्लुक रखने वाली पार्वती बरुआ को शुरू से ही जानवरों से खास लगाव था। खासतौर पर हाथियों से। उनका यही प्यार उनकी जिंदगी का लक्ष्य बन गया और उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी जानवरों की सेवा में लगाने का फैसला कर लिया।
वो एशियन एलीफैंट स्पेशलिस्ट ग्रुप, आईयूसीएन की सदस्य भी हैं। उनकी जिंदगी पर कई डॉक्यूमेंट्री बन चुकी हैं। वो हाथियों को बचाने के लिए भी काफी सक्रिय रहती हैं। पार्वती बरुआ पर कई डॉक्यूमेंट्री बन चुकी हैं।पार्वती बरुआ पर कई डॉक्यूमेंट्री बन चुकी हैं। - चामी मुर्मू
पद्म श्री पाने वाली चामी मुर्मू पिछले 28 सालों में 28 हजार महिलाओं को स्वरोजगार दे चुकी हैं। चामी मुर्मू को नारी शक्ति पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर 2019 में राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें यह सम्मान दिया।
2019 में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर राष्ट्रपति रामनाथ ने चामी मुर्मू को नारी शक्ति पुरस्कार से भी सम्मानित किया।
2019 में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर राष्ट्रपति रामनाथ ने चामी मुर्मू को नारी शक्ति पुरस्कार से भी सम्मानित किया।
- जागेश्वर यादव
जशपुर से आदिवासी कल्याण कार्यकर्ता जागेश्वर यादव को भी पद्मश्री के लिए चुना गया है। छत्तीसगढ़ के जागेश्वर यादव 67 साल के हैं। उन्हें सामाजिक कार्य (आदिवासी – पीवीटीजी) के लिए पद्म पुरस्कार से सम्मानित किया जा रहा है। उन्होंने हाशिये पर पड़े बिरहोर और पहाड़ी कोरवा लोगों के उत्थान के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।
जशपुर में आश्रम की स्थापना की और शिविर लगाकार निरक्षरता को खत्म करने और मानक स्वास्थ्य सेवा को उन्नत करने के लिए काम किया। महामारी के दौरान झिझक को दूर करने, टीकाकरण की सुविधा दिलवाई, जिससे शिशु मृत्युदर को कम करने में भी मदद मिली। आर्थिक तंगी के बावजूद उनका जुनून सामाजिक परिवर्तन लाने के लिए बना रहा। - दुखू माझी पश्चिम बंगाल के पुरुलिया के सिंदरी गांव के आदिवासी पर्यावरणविद् दुखू माझी को सामाजिक कार्य (पर्यावरण वनीकरण) के क्षेत्र में पद्मश्री दिया जाएगा। उन्होंने हर दिन अपनी साइकिल पर नए गंतव्यों की यात्रा करते हुए बंजर भूमि पर 5,000 से अधिक बरगद, आम और ब्लैकबेरी के पेड़ लगाए।
- हेमचंद मांझी
छत्तीसगढ़ के नारायणपुर के पारंपरिक औषधीय चिकित्सक हेमचंद मांझी को चिकित्सा (आयुष पारंपरिक चिकित्सा) के क्षेत्र में पद्मश्री दिया जाएगा। उन्होंने पांच दशकों से अधिक समय से ग्रामीणों को सस्ती स्वास्थ्य सेवा प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने 15 साल की उम्र से जरूरतमंदों की सेवा शुरू कर दी थी। - संगथंकिमा
मिजोरम के सबसे बड़े अनाथालय ‘थुतक नुनपुइटु टीम’ चलाने वाले आइजोल के एक सामाजिक कार्यकर्ता संगथंकिमा को सामाजिक कार्य (बाल) के क्षेत्र में पद्मश्री दिया जाएगा। - के चेल्लम्मल
अंडमान व निकोबार के जैविक किसान के. चेल्लम्मल (नारियल अम्मा) को अन्य (कृषि जैविक) के क्षेत्र में पद्मश्री मिला। उन्होंने 10 एकड़ का जैविक फार्म सफलतापूर्वक विकसित किया। - गुरविंदर सिंह:
हरियाणा के सिरसा के 52 साल के दिव्यांग सामाजिक कार्यकर्ता गुरविंदर सिंह ने बेघर, निराश्रित, महिलाओं की बेहतरी के लिए और अनाथ व दिव्यांगजनों के लिए काम किया। अपने अटूट समर्पण से उन्होंने 300 बच्चों का पालन-पोषण करने के लिए बाल देखभाल संस्थान स्थापित किया और नाम रखा बाल गोपाल धाम।
6,000 से ज्यादा लोगों को फ्री एम्बुलेंस सेवांए प्रदान की। इनमें दुर्घटना के शिकार और गर्भवती महिलाएं भी शामिल हैं। ट्रक की चपेट में आने से कमर के नीचे का हिस्सा लकवाग्रस्त हो गया और जीवन भर के लिए व्हीलचेयर पर ही सीमित होकर भी, दूसरों के कल्याण के लिए काम करना उनकी प्राथमिकता है।सामाजिक कार्य (दिव्यांग) में उन्हें पद्नश्री से सम्मानित किया जा रहा है।
पद्मश्री विजेताओं की पूरी लिस्ट… नाम कार्यक्षेत्र राज्य
1 – पार्वती बरुआ, भारत की पहली महिला हाथी महावत, असम
2 – चामी मुर्म, प्रसिद्ध आदिवासी पर्यावरणविद्, झारखंड
3 – संगथंकिमा, सामाजिक कार्यकर्ता , मिजोरम
4 – जागेश्वर यादव, आदिवासी कल्याण कार्यकर्ता , छत्तीसगढ़
5 – गुरविंदर सिंह, दिव्यांग सामाजिक कार्यकर्ता, हरियाणा
6 – सत्यनारायण बेलेरी, कासरगोड के चावल किसान, केरल
7 – दुखु माझी, आदिवासी पर्यावरणविद्, पश्चिम बंगाल
8 – के चेल्लाम्मल, जैविक किसान, अंडमान निकोबार
9 – हेमचंद मांझी, नारायणपुर के चिकित्सक, छत्तीसगढ़
10 – यानुंग जमोह लेगो, हर्बल चिकित्सा विशेषज्ञ , अरुणाचल प्रदेश
11 – सोमन्ना, मैसूरु के आदिवासी कल्याण कार्यकर्ता, कर्नाटक
12 – सरबेश्वर बसुमतारी, चिरांग के आदिवासी किसान, असम
13 – प्रेमा धनराज, प्लास्टिक सर्जन और सामाजिक कार्यकर्ता , कर्नाटक
14 – उदय विश्वनाथ देशपांडे, अंतर्राष्ट्रीय मल्लखंभ कोच, महाराष्ट्र
15 – यज़्दी मानेकशा, इटालिया सिकल सेल एनीमिया में विशेषज्ञ माइक्रोबायोलॉजिस्ट, गुजरात
16 – शांति देवी पासवान और शिवन पासवान , मधुबनी चित्रकार, बिहार
17 – रतन कहार भादू, लोक गायक, पश्चिम बंगाल
18 – अशोक कुमार विश्वास, विपुल टिकुली, चित्रकार, बिहार
19 – बालकृष्णन सदनम, पुथिया वीटिल , प्रतिष्ठित कल्लुवाझी कथकली नर्तक, केरल
20 – उमा माहेश्वरी डी , महिला हरिकथा प्रतिपादक, आंध्रपदेश
21 – गोपीनाथ स्वैन, कृष्ण लीला गायक, ओडिशा
22 – स्मृति रेखा चकमा, शॉल बुनकर, त्रिपुरा
23 – ओमप्रकाश शर्मा, माच थिएटर कलाकार, एमपी
24 – नारायणन ई पी, फोक डांसर (थेय्यम), केरल
25 – भागवत प्रधान, सबदा नृत्य लोक नृत्य विशेषज्ञ, ओडिशा
26 – सनातन रुद्र पाल, प्रतिष्ठित मूर्तिकार, पश्चिम बंगाल
27 – बदरप्पन एम वल्ली, ओयिल कुम्मी लोक नृत्य के प्रतिपादक , तमिलनाडु
28 – जॉर्डन लेप्चा, बांस शिल्पकार, सिक्किम
29 – माचिहान सासा, उखरुल का लोंगपी कुम्हार, मणिपुर
30 – गद्दाम सम्मैया, प्रख्यात चिंदु यक्षगानम, थिएटर कलाकार, तेलंगाना
31 – जानकीलाल, भीलवाड़ा के बहरूपिया कलाकार, राजस्थान
32 – दसारी कोंडप्पा बुर्रा, वीणा वादक, तेलंगाना
33 बाबू राम यादव, पीतल मरौरी शिल्पकार , यूपी
34 नेपाल चंद्र सूत्रधार , छऊ मुखौटा निर्माता, नेपाल
पिछले साल साल 2023 में 106 पद्म पुरस्कारों का ऐलान हुआ था।
राष्ट्रपति ने 106 पद्म पुरस्कारों को मंजूरी दी थी। इनमें 6 पद्म विभूषण, 9 पद्म भूषण और 91 पद्म श्री शामिल थे। 19 पुरस्कार विजेता महिलाएं थीं। पुरस्कार पाने वालों में 19 महिलाएं हैं। सात लोगों को मरणोपरांत इस सम्मान के लिए चुना गया है। पद्म सम्मान देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में से एक हैं और यह तीन श्रेणियों- पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्म श्री में प्रदान किए जाते हैं।
राजस्थान के जानकीलाल ने 84 साल की उम्र में भी आर्थिक तंगी के बावजूद भी बहरूपिया कला को बढ़ाया आगे..
केंद्र सरकार ने भारत के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म पुरस्कार-2024 की घोषणा गुरुवार को कर दी है। इसके तहत राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के रावला चौक में रहने वाले प्रसिद्ध बहरूपिया कलाकार जानकीलाल को पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
गौरतलब है कि विभिन्न क्षेत्रों में असाधारण योगदान के लिए भारत सरकार की ओर से यह प्रतिष्ठित पुरस्कार दिया जाता है।
जानकीलाल बहरूपिया बाबा के नाम से प्रसिद्ध हैं।
जानकीलाल को पद्म पुरस्कार की घोषणा से भीलवाड़ा शहर सहित पूरे जिले में खुशी की लहर है।
जानकी लाल मूलत: भीलवाड़ा शहर की गुलमंडी भौमियो का रावला चौक में रहने वाले हैं।
84 वर्षीय जानकीलाल बहरूपिया कला में माहिर हैं और अपनी बहरूपिया कला से देश-विदेश में जाने जाते हैं।
उन्होंने भारत ही नहीं विदेशी मंच पर भी बहरूपिया और ‘हनुमानजी’ का किरदार निभाया है। जानकीलाल बहरुपिया हमेशा महिला के कपड़े पहनकर और हाथों में चिमटा लेकर लोगों के साथ हंसी मजाक और मनोरंजन करते हैं।
विदेशों में मंकी मैन का मिला खिताब..
बहरूपिया कलाकार जानकीलाल जब 16-17 साल के थे, तब से इस कला के साथ जुड़े हुए हैं।
जानकीलाल 50 वर्षों से ये वेशभूषा पहनकर लोगों का मनोरंजन कर रहे हैं। वो गाडोलिया लुहार, कालबेलिया, पठान, ईरानी, फकीर, भगवान भोलेनाथ, माता पार्वती सहित विभिन्न स्वरूप की वेशभूषा पहनकर लोगों का मनोरंजन करते हैं। जानकीलाल सबसे पहले 1986 में लंदन और न्यूयॉर्क गए और वहां उन्हे अवॉर्ड मिला। 1988 में जर्मनी, रोम, बर्मिंघम और फिर लंदन भी गए थे। वहां उन्हें लोग मंकी मैन के नाम से जानने लगे। विदेशों में उन्होंने फकीर और बंदर का रोल अदा किया था।
बहरूपिया कला मौजूदा दौर में एक विलुप्त होती कला शैली है। लेकिन जानकी लाल के पास बहरूपिया कला की महारत हासिल है। वह वैश्विक दर्शकों को इस लुप्त होती कला शैली से करीब 6 दशक यानी 60 साल से भी ज्यादा वक्त से दिखा रहे हैं।
जानकी लाल ने 3 पीढ़ियों की विरासत को आगे बढ़ाया..
बहरूपिया कला जानकी लाल को विरासत के रूप में मिला है। उनसे पहले तीन पीढ़ियां इस काम को करते थे और उन्होंने इस काम को आगे बढ़ाया। बहरूपिया कला में जटिल रूप से पौराणिक कथाओं, लोक कथाएं और पारंपरिक कहानियों से अनेक पात्र बनाये जाते हैं। राजस्थान के मेवाड़ क्षेत्र में इस स्थानीय कला को बढ़ावा देने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।
आर्थिक तंगी के बाद भी बहरूपिया कला को बढ़ाया आगे..
जानकी लाल की तीन पीड़ियां बहरूपिया कला को आगे बढ़ाया है। हालांकि अब यह विलुप्त होते जा रहा है।
उनकी पारंपरिक कला विलुप्त न हो इस वजह से आर्थिक तंग और सीमितता का सामना करने के बावजूद उन्होंने अपनी कला के प्रति प्रतिबद्धता और जुनून जारी रखा।
जानकी लाल के इसी जज्बे को सरकार ने सम्मानित किया है, और उन्हें पद्म श्री 2024 का पुरस्कार घोषित किया है।