Saturday, October 19, 2024

ईआरसीपी को लेकर केन्द्र, राजस्थान और मध्यप्रदेश सरकार के मध्य एमओयू पर हुए हस्ताक्षर मुख्यमंत्री शर्मा और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. यादव रहे उपस्थित

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राजस्थान और मध्यप्रदेश के लाखों लोगों के लिए बहुप्रतिक्षित पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) शीघ्र ही मूर्तरूप लेगी। केन्द्र, राजस्थान और मध्यप्रदेश सरकार के बीच परियोजना की संयुक्त डीपीआर बनाने के लिए श्रम शक्ति भवन, नई दिल्ली में रविवार को त्रिपक्षीय एमओयू पर हस्ताक्षर हुए। केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की उपस्थिति में केन्द्रीय जल शक्ति मंत्रालय की सचिव श्रीमती देबाश्री मुखर्जी, राजस्थान के जल संसाधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अभय कुमार और मध्यप्रदेश के जल संसाधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. राजेश कुमार राजोरा के बीच समझौता करार पर हस्ताक्षर किए गए। 

केन्द्र सरकार की मध्यस्थता से साकार हुई ईआरसीपी

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि ईआरसीपी राजस्थान और मध्यप्रदेश की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है। किसानों के लिए महत्वपूर्ण इस परियोजना को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बहुत गंभीर है। प्रदेश में हमारी सरकार के गठन के साथ ही इस अहम् परियोजना को पूरा करने के लिए राजस्थान और मध्यप्रदेश सरकार के बीच सहमति बनाने के लिए बैठक आयोजित की गयी। प्रधानमंत्री की इच्छाशक्ति एवं कार्यशैली का परिणाम है कि आज इस प्रोजेक्ट को लेकर केन्द्र सरकार और दोनों राज्यों के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर हुए हैं। उन्होंने कहा कि आज का दिन ऐतिहासिक है। संशोधित पार्वती-कालीसिंध-चम्बल लिंक परियोजना (ईआरसीपी) से मध्यप्रदेश एवं राजस्थान का सर्वांगीण विकास होगा एवं एक स्वर्णिंम युग का उदय होगा। दोनों राज्यों के विकास के लिए यह परियोजना मील का पत्थर साबित होगी। 

राज्य में 2.80 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में मिलेगा सिंचाई जल

मुख्यमंत्री शर्मा ने कहा कि ईआरसीपी के तहत पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों झालावाड़, बारां, कोटा, बूंदी, सवाई माधोपुर, करौली, धौलपुर, भरतपुर, दौसा, अलवर, जयपुर, अजमेर एवं टोंक में पेयजल उपलब्ध होगा। इसके अतिरिक्त, राज्य के 2,80,000 हैक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई के लिए पानी की उपलब्धता सुनिश्चित होगी। उन्होंने कहा कि इस परियोजना से 13 जिलों के लगभग 25 लाख किसान परिवारों को सिंचाई जल एवं राज्य की लगभग 40 प्रतिशत आबादी को पेयजल उपलब्ध हो सकेगा। साथ ही, भूजल के स्तर में भी वृद्धि होगी। उन्होंने कहा कि इस परियोजना से कृषि उत्पादन में वृद्धि होने से किसानों की आय बढ़ेगी और रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे। ईआरसीपी के तहत आने वाले क्षेत्रों में औद्योगिक आवश्यकताओं के लिए भी पानी उपलब्ध हो सकेगा। 

पूर्ववर्ती राज्य सरकार की उपेक्षा से प्रभावित हुई परियोजना

मुख्यमंत्री शर्मा ने कहा कि राजस्थान की पूर्ववर्ती सरकार ने रिफाइनरी और ईआरसीपी जैसी परियोजनाओं को पूरा करने की जगह अटकाने का काम किया है। इससे प्रदेश की जनता इन परियोजनाओं के लाभ से अब तक वंचित रही है। पिछले पांच सालों में इस परियोजना में सिर्फ खानापूर्ति की गई है।

उल्लेखनीय है कि केन्द्र सरकार द्वारा 13 दिसम्बर 2022 को पार्वती-कालीसिंध-चम्बल लिंक परियोजना को ईआरसीपी के साथ एकीकृत करने के प्रस्ताव को प्राथमिकता वाली लिंक परियोजना हेतु अनुमोदन किया गया। एमओयू के अनुसार पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना में सम्मिलित रामगढ़ बैराज, महलपुर बैराज, नवनैरा बैराज, मेज बैराज, राठौड़ बैराज, डूंगरी बांध, रामगढ़ बैराज से डूंगरी बांध तक फीडर तंत्र, ईसरदा बांध का क्षमता वर्धन एवं पूर्वनिर्मित 26 बांधों का पुनरूद्धार किया जाएगा।

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