पूर्व सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच पुरानी खींचतान का मामला हाईकोर्ट में फिर ताजा हो गया है। भाजपा नेता राजेंद्र राठौड़ की पीआईएल पर चल रही सुनवाई के तहत शुक्रवार को मौजूदा विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी की ओर से हाईकोर्ट में जवाब पेश किया।
विधानसभा अध्यक्ष देवनानी ने ने जवाब में कहा कि पूर्व मंत्री शांति धारीवाल, डॉ.बीडी कल्ला, टीकाराम जूली, ममता भूपेश सहित अन्य ने अपने इस्तीफे वापस लेने की अर्जियों में कहा कि उनके इस्तीफे मर्जी से नहीं थे। 25 सितंबर 2022 को कांग्रेस विधायक दल की पैरेलल बैठक करके पूर्व मुख्यमंत्री गहलोत गुट के 81 विधायकों ने पायलट को सीएम बनाने की कोशिश के खिलाफ उस समय के विधानसभा अध्यक्ष डॉ.सीपी जोशी को इस्तीफे सौंप दिए थे।
विधानसभा अध्यक्ष देवनानी ने ने जवाब में लिखा है कि इस्तीफों पर हस्ताक्षर भी खुद की मर्जी से नहीं किए थे। कई मंत्री-विधायकों ने यह भी कहा कि उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष व्यक्तिगत उपस्थित होकर इस्तीफे नहीं दिए थे। कोर्ट में पेश जवाब में यह भी कहा कि इस्तीफे देने, फिर वापस लेने की घटना बहुत बड़ी है। जांच होनी चाहिए, लेकिन तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी ने प्रसंज्ञान नहीं लिया।
भाजपा नेता नेताराजेंद्र राठौड़ सुनवाई के लिए अपने विधिक सलाहकार एडवोकेट हेमंत नाहटा के साथ हाईकोर्ट में पेश हुए थे। विधानसभा आज तकवासुदेव देवनानीकी ओर से सीनियर एडवोकेट आरएन माथुर कोर्ट में उपस्थित हुए और प्रतीक माथुर ने जवाब पेश किया। विधायकों के इस्तीफे और उन्हें वापस लेने के प्रार्थना पत्र की कॉपी भी पेश की गई। इनमें खुलासा हुआ कि उन्होंने इस्तीफा स्वैच्छिक तौर पर नहीं दिए थे, जबकि विधानसभा अध्यक्ष से इस्तीफे अविलम्ब मंजूर करने का आग्रह किया था।
पूर्व मुख्यमंत्रीगहलोत और पायलट गुट के बीच खींचतान के चलते तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी को पूर्व मुख्यमंत्री गहलोत गुट के विधायकों ने इस्तीफे दिए थे। 25 सितंबर 2022 की घटना के बाद कांग्रेस हाईकमान ने शांति धारीवाल, महेश जोशी और धर्मेंद्र राठौड़ को नोटिस दिए थे। इस मामले में सुलह हो जाने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री गहलोत गुट के विधायकों ने इस्तीफे वापस लिए थे। 30 दिसंबर 2022 से 10 जनवरी 2023 तक इन विधायकों ने इस्तीफे वापस लेने के लिए प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किए थे। 13 जनवरी 2023 को तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष डॉ.सीपी जोशी ने इस्तीफे नामंजूर कर दिए थे।
25 सितंबर की घटना पर पूर्व मुख्यमंत्री गहलोत और पायलट खेमों के बीच अब भी कई बार वार पलटवार होता रहता है। विधानसभा चुनावों में हार के बाद कांग्रेस की सत्ता चली गई है, पार्टी विपक्ष में है, इसलिए अब सत्ता संघर्ष बचा नहीं है।अब तक राजनीतिक हालात काफी बदल चुके हैं। सचिन पायलट अब कांग्रेस सीडब्ल्यूसी मेंबर और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव, छत्तीसगढ़ के प्रभारी बन चुके हैं। विधायकों पर दबाव बनाकर इस्तीफे दिलवाने पर कोई फैसला आता है तो पर्सेप्शन के मोर्चे पर कांग्रेस में अंदरूनी तौर पर फर्क पड़ेगा।
पूर्व मुख्यमंत्री गहलोत और पायलट खेमों के बीच पुराना विवाद फिर ताजा होगा, आपसी मनमुटाव बढ़ेगा। पायलट खेमा पहले भी 25 सितंबर की घटना पर सवाल उठाता रहा है। हालांकि यह पिछली विधानसभा का मामला है, इसलिए कोर्ट कोई भी फैसला दे, इसका व्यवहारिक रूप से ज्यादा राजनीतिक स्तर पर कोई असर नहीं होगा।