Monday, October 21, 2024

स्वायत शासन राज्य मंत्री खर्रा सहित पांच लोगों के खिलाफ एसीबी कोर्ट ने भ्रष्टाचार के मामले में तय किए आरोप, 18 साल पुराने मामले में कोर्ट ने कहा- टेंडर में हुआ फर्जीवाड़ा

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एसीबी कोर्ट ने 18 साल पुराने मामले में श्रीमाधोपुर के तत्कालीन प्रधान और स्वायत शासन राज्य मंत्री झाबर सिंह खर्रा सहित पांच लोगों पर भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी के चार्ज तय किए हैं। 

पीएचईडी के पाइप खरीद के 14.14 लाख रुपए के घोटाले से जुड़ा है। इसमें खर्रा तत्कालीन विकास अधिकारी उम्मेद सिंह राव, पंचायत समिति के तत्कालीन जेईएन कृष्ण कुमार गुप्ता, तत्कालीन कनिष्ठ लेखाकार नेहरू लाल और बधाला कंस्ट्रक्शन कंपनी के मालिक भैरूराम का नाम है। झाबर सिंह खर्रा पर आरोप है कि मिलीभगत करके भैरूराम को टेंडर दिलाया और उस काम का ज्यादा भुगतान जारी किया।पर
एसीबी कोर्ट के जज बृजेश कुमार ने कहा कि तत्कालीन प्रधान झाबर सिंह खर्रा ने सह आरोपी कृष्ण कुमार गुप्ता और नेहरूलाल के साथ मिलकर 8 मार्च, 2006 को आपराधिक षड्यंत्र के तहत पेयजल आपूर्ति के प्रस्ताव के लिए पंचायत समिति की एक बैठक की।
उन्होंने टेंडर में भाग लेने वाले भैरूराम से आपराधिक षड्यंत्र के तहत मिलीभगत और अपने लोक सेवक पद का दुरुपयोग करते हुए टेंडर प्रक्रिया में फर्जीवाड़ा किया था। समिति ने भैरूराम के पीवीसी पाइप का अधिकृत ठेकेदार नहीं होने और इस काम का उसे कोई अनुभव नहीं होने के बाद भी उसे सफल बोलीदाता घोषित कर टेंडर जारी कर दिया।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि भैरूराम को पंचायत समिति ने पाइप खरीद के 27 लाख 38 हज़ार 477 रुपए का भुगतान किया, जबकि जांच से यह प्रथम दृष्टया साबित होता है कि भैरूराम ने गोयाल पाइप से 13 लाख 24 हज़ार 339 रुपए में पाइप की खरीद की थी। ऐसे में इन सब ने मिलकर राजकोष को 14 लाख 14 हज़ार 78 रुपए का नुकसान पहुंचाया। इनका यह कृत्य पीसी एक्ट और आईपीसी की धारा 120 के तहत अपराध माना जाएगा। टेंडर देने में फर्जी दस्तावेज का भी उपयोग किया है। यह धोखाधड़ी के तहत अपराध की श्रेणी में आता है। भैरूराम ने टेंडर के अनुसार 6 केजी क्षमता के पाइप सप्लाई करने की बजाय गोयल पाइप उद्योग से 4 केजी प्रेशर क्षमता के पाइप खरीदे थे। जिसका सत्यापन भी गलत तरीके से इन लोगों ने किया था।
एसीबी कोर्ट नेचार्ज तय होने के बाद अब मंत्री खर्रा सहित अन्य पांच लोगों पर ट्रायल चल सकेगा। कोर्ट अब इन पांचों के खिलाफ भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी के चार्ज पर ट्रायल चलाएगी। जिसमें दोनों पक्षों की तरफ से अपनी-अपनी दलीलें दी जाएंगी और ट्रायल खत्म होने के बाद फाइनल फैसला आएगा।

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