Monday, October 14, 2024

आख़िर कैसे बन पाएगा स्वच्छ भारत मिशन से जयपुर कचरा मुक्त, प्रधानमंत्री स्वच्छ भारत मिशन की रैंकिंग पर फिरा पानी

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत बड़े ही जोश और अच्छी सोच के साथ शुरू की थी। प्रधानमंत्री ने खुद सड़को पर उतरकर अपने हाथो से झाडू लगाकर और सफाई करके देशवासियों को भारत को साफ और स्वच्छ रखने का संदेश दिया था और सभी देशवासियों से अपील भी की थी कि भारत को स्वच्छ रखें,लेकिन अकेले नरेंद्र मोदी ही क्या करें जब सरकारी मशीनरी ही काम नही करना चाहे।

बड़े जोर शोर के साथ स्वच्छ भारत अभियान को शुरू किया गया था लेकिन आज 7 सालों में जो बदलाव आने चाहिए थे न तो वो बदलाव आए बल्कि हालत और अधिक बिगड़ गए। केंद्र और राज्य में बीजेपी की सरकार हैं लेकिन अधिकारियों को धरातल पर कामचोरी और बंद AC कमरों में बैठकर बड़ी बड़ी बातें करने से ज्यादा की फुरसत नहीं मिलती तो फील्ड पर काम कैसे होगा। नतीज़ा ये निकला की स्वच्छ भारत अभियान की पोल के साथ इसकी हवा निकल गई हैं।

हर साल केंद्र सरकार की ओर से सफाई अभियान में स्वच्छ सर्वेक्षण की रिपोर्ट तैयार की जाती है केंद्र ने 2024 के लिए गाइडलाइन की जारी की है लेकिन इसे लेकर दोनों निगम के अधिकारी कर्मचारी की एक्स्ट्रा इफेक्ट लगाने का दिखावा करने में कोई कमी नही हैं।फिर भी सर्वेक्षण की बारीकियां को नजरअंदाज कर काम कर रहे हैं इसका असर संरक्षण के दौरान अंकों पर ही पड़ेगा। पिछले साल 2023 में जयपुर के दोनों नगर निगम से हेरीटेज निगम की 171वीं रैंक और ग्रेटर नगर निगम की 143 में रैंक रही थी जबकि साल 2022 में यह रैंक 26वीं और 33 सी थी।अब इस साल की बारी सर्वेक्षण 2024 की है जिसे लेकर दोनों निगम प्रशासन ने दिखाने के लिए तो पूरी ताकत झोंक रखी है लेकिन लोगों को जागरूक करने से लेकर सफाई के मॉनिटरिंग के नाम पर काम जीरो से ही शुरू होकर शून्य पर खत्म होता दिखाई देता हैं। वैसे सफाई का काम सुबह 7:00 बजे से शुरू हो जाता है इसके बावजूद लगता है कि मानो निगम अभी तक 9 दिन में अढ़ाई कोस ही चले हो।

अधिकारियों और कर्मचारियों के अतिरिक्त समय देने के बावजूद भी काम धरातल पर नजर नहीं आ रहा हैं।अब इन अंकों के मुताबिक धरातल पर शहर की तस्वीरें देखें तो दोनों निगम के नंबर कटना लगभग तय है और पिछले साल से भी निचले पायदान पर जयपुर के दोनो नगर निगम अपने आपको सुशोभित करते नज़र आते दिख रहे है। ओपन कचरा डिपो पर भले ही निगरानी बढ़ती जा रही है लेकिन यह डिपो खत्म होने का नाम नहीं ले रहे शहर में करीब 3000 से ज्यादा ओपन डिपॉजिट निगम के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है सड़क किनारे फुटपाथ और मीडियम पर सफाई संतोषजनक नहीं है। हेरिटेज मैडम ने गंदी गलियों पर करोड़ों रुपए पानी की तरह बहा दिए लेकिन उसका नतीजा भी दिखाई नहीं दे रहा है।

बैन के बावज़ूद सिंगल यूज प्लास्टिक का भी धड़ल्ले से उपयोग 

सरकारी दफ्तरों से लेकर सड़कों पर रेड स्पॉट यानी गुटखे की पीक लाल कत्थई कलर दिखाई देना आम बात है। शहर के वाटर ड्रेनेजसिस्टम की पोल एक बारिश में ही खुल जाती है। डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन के तहत कचरा कलेक्शन के लिए हूपर्स नहीं पहुंचने कीशिकायतों का अंबार लगा हुआ है। सेग्रीगेशन केवल फोटो खिंचवाने तक सीमित हैं, जबकि इसके 300 अंक निर्धारित हैं, लेकिन दोनोंमें से एक भी निगम को ये अंक मिलते दिखाई नहीं दे रहे हैं। शहर में सिंगल यूज प्लास्टिक का भी धड़ल्ले से उपयोग हो रहा है। सर्वेक्षणमें इसके 150 अंक भी डूबते दिख रहे हैं। खाली भूखंडों में कचरे के ढेर लगने पर भी कार्रवाई नहीं होती। जयपुर में तीन बड़े कचरागाहखत्म करने का काम निगम शुरू नहीं कर पाया है। 

ग्रेटर नगर निगम मेयर डॉ. सौम्या गुर्जर ने बताया कि आचार संहिता की वजह से हमें और तैयारियां करने का मौका मिल गया है।हमसबको मिलकर शहर की स्वच्छता का ध्यान रखना चाहिए। नगर निगम भी अपना काम कर रहा है।स्वच्छता के जितने भी पैमाने हैं, उनपर काम किया जा रहा है।एनजीओ के माध्यम से अवेयरनेस प्रोग्राम हो रहे है, लेकिन शहरवासियों की सहभागिता नहीं होगी तो ये काम अधूरे रह जाएंगे। 

हेरिटेज नगर निगम आयुक्त अभिषेक सुराणा ने बताया कि हेरिटेज नगर निगम को ओपन डिपो मुक्त करना है. अबतक 170 ओपन डिपो कमकिए गए हैं. इसी क्रम में शहरवासियों से अपील है कि वो शहर में कचरा न फैलाएं।सूखा और गीला कचरा अलग-अलग रखें।

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