Saturday, October 19, 2024

बनास नदी गहलोद हाई ब्रिज के नाम से मांगे वोट, पांच गर्डर गिरने के 15 दिन बाद पहुंचे भाजपा सांसद जौनपुरिया, गुणवत्तापूर्ण काम नहीं होने का चार साल से लगा रहे आरोप

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भाजपा प्रत्याशी और सांसद सुखबीर सिंह जौनापुरिया ने हाल ही लोकसभा चुनाव में बनास नदी गहलोद हाई ब्रिज को अपनी बड़ी उपलब्धि बता करके जनता से वोट मांगने वाले भाजपा से तीसरी बार के प्रत्याशी और  दो बार के सांसद सुखबीर सिंह जौनापुरिया ब्रिज की पांच गर्डर गिर जाने के हादसे के पंद्रह दिन बाद शुक्रवार को ब्रिज पहुंचे। भाजपा प्रत्याशी और सांसद सुखबीर सिंह जौनापुरिया ने पीडब्ल्यूडी के अफसरो को लताड पिलाई। 

वही दूसरी तरफ सांसद जौनापुरिया ने पिछले पांच साल तक ब्रिज की गुणवत्ता को लेेकर सवाल तो उठाते रहे हैं।लेकिन न तो केंद्र सरकार ने  ही संबंधित विभाग ने सांसद की शिकायतों को गंभीरता से लिया। इतना ही नहीं हाल ही में राज्य की भाजपा शासित सरकार के सार्वजनिक निर्माण विभाग राजस्थान के मुख्य अभियंता (गुणवत्ता ) जसवंत खत्री और मुख्य अभियंता (सीआरएफ )मुकेश भाटी ने  ब्रिज निर्माण कम्पनी को गुणवत्ता मामले में क्लीनचिट तक दें डाली। 

भाजपा सांसद जौनापुरिया शुक्रवार को बनास नदी गहलोद हाई ब्रिज पहुंचे तो सार्वजनिक निर्माण विभाग टोंक के अधीक्षण अभियंता एचएल मीणा, अधिशाषी अभियंता दिलीप कुमार सहित विभागीय अधिकारियों को भी बुलाया। ब्रिज का जौनापुरिया ने निरीक्षण किया और उन्होंने पांच साल से ब्रिज की गुणवत्ता को लेकर उठा रहे सवाल फिर दागे तो अधीक्षण अभियंता एचएल मीणा न तो कोई जवाब दें पाए बल्कि  बगले झाँकने लगे। इतना ही नहीं सीधा-सीधा जौनापुरिया ने मीणा को जमकर लताड़ पिलाई। लेकिन मीणा ने पूरी तरह चुप्पी साध ली। ऐसे में सवाल उठता है कि यदि गुणवत्तयुक्त काम था तो जवाब क्यों नहीं दिया उनका जवाब नहीं देना निश्चित रूप से  उनकी संदिग्ध भूमिका को दर्शाता है। 

वही भाजपा से सुखबीर सिंह जौनापुरिया दस साल से टोंक -सवाई माधोपुर से सांसद है वह भी इस हादसे से सिर्फ घटिया सामग्री होने का बयान देकर बच नहीं सकते क्योंकि उन्होंने ब्रिज की गुणवत्ता के सवाल तो उठाए लेकिन कोई ठोस कार्यवाही नहीं होना उनकी नाकामी दर्शाती है। वह भी ऐसे बनास नदी गहलोद ब्रिज निर्माण कार्य की गुणवत्ता को लेकर जिसकी राशि केंद्र सरकार की तरफ से सीआरएफ योजना से स्वीकृत की गई हो। इतना ही नहीं वहीं राज्य के पूर्व डिप्टी सीएम एवं टोंक विधायक सचिन पायलट ने भी पिछले कार्यकाल में कई बार इसका निरीक्षण भी किया लेकिन इसकी गुणवत्ता की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया। जिन्होंने भी बनास नदी गहलोद ब्रिज को अपनी बड़ी उपलब्ध बताते हुए श्रेय लेने में पीछे नहीं रहे।

सवाल उठता है कि सांसद जौनापुरिया सहित विधायक पायलट के निरीक्षण के बावजूद बनास नदी गहलोद ब्रिज की पांच गर्डर वह भी सिर्फ आंधी के कारण गिर जाने के हादसे को निर्माण कम्पनी ठेकेदार की लापरवाही कह करके टाला जाना उचित नहीं है बल्कि इसकी निष्पक्ष जांच हो क्योंकि यह बनास नदी गहलोद ब्रिज कोई एक या दो गांवो से जुडा मामला नहीं है। इस ब्रिज से टोंक जिले के तीन उपखण्ड क्षेत्र के  दर्जनों से अधिक गांवो का आवागमन होना है। वही प्रत्येक दिन हजारों लोग इस बनास नदी गहलोद से ही गुजरते है।

अब दोनों ही जनप्रतिनिधि जिनमें सांसद जौनापुरिया यह कह करके कि राज्य में कांग्रेस की सरकार थी और पायलट केंद्र में भाजपा की सरकार होने की बात कहते हुए अपना पल्ला नहीं झाड सकते क्योंकि ने इस ब्रिज निर्माण कार्य की शुरुआत से ही घटिया सामग्री और गुणवत्तापूर्ण कार्य नहीं होने का आरोप लगाया था तो इसकी केंद्रीय एजेंसी से जांच करना चाहिए था यदि विभाग में सुनवाई नहीं होती संसद में सवाल उठाना चाहिए था। 

पूर्व डिप्टी सीएम और टोंक विधायक सचिन पायलट भी अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकते क्योंकि राज्य में उनकी सरकार थी उनका दायित्व था कि रोजाना सेकड़ों लोगो के आवागमन के लिए करीबन 108 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाले बनास नदी गहलोद हाई ब्रिज में कोई लीपापोती नहीं हो क्योंकि यह उनके विधानसभा क्षेत्र का मामला था वही यह बनास नदी गहलोद ब्रिज न सिर्फ टोंक बल्कि निवाई से पूर्व विधायक प्रशांत बैरवा के निर्वाचन क्षेत्र में भी आता है, उनकी भी जिम्मेदारी थी की इस ब्रिज की गुणवत्ता की तरफ ध्यान देते। क्योंकि यह ब्रिज कोई हर साल बनने वाली सड़क तो नहीं थी बल्कि करीबन 100 साल की अवधि को ध्यान में रखते हुए बनाई गई बड़ी योजना थी।

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