ऊर्जा राज्यमंत्री हीरालाल नागर ने कहा है कि राज्य सरकार को पूर्ववर्ती सरकार के पांच साल के कुप्रबंधन और अदूरदर्शिता के कारण बिजली तंत्र चरमराई हालत में मिला है। उन्होंने कहा कि गत कांग्रेस सरकार ने प्रदेश में बिजली के उत्पादन, वितरण और प्रसारण तंत्र की जमकर अनदेखी की।
ऊर्जा मंत्री नागर ने कहा कि कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकार की विरासत में छोड़ी गई कमियों के बावजूद मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में राज्य सरकार बेहतर प्रबंधन तथा एक्सचेंज से बिजली खरीदकर प्रदेषवासियों को निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिष्चित कर रही है। बिजली कम्पनियों पर 1 लाख 39 हजार करोड़ से अधिक का ऋण भार
ऊर्जा राज्यमंत्री नागर ने बताया कि कांग्रेस सरकार के समय एक्सचेंज से महंगी दरों पर बिजली खरीदी गई। उनके आर्थिक कुप्रबंधन के कारण राज्य के डिस्कॉम्स 88 हजार 700 करोड़ रुपए के ऋण के साथ दिवालिया होने की कगार पर पहुंच गए तथा समस्त बिजली कम्पनियों पर 1 लाख 39 हजार 200 करोड़ रुपए से अधिक का ऋण भार आ गया। समय पर ऋण ना चुका पाने के कारण बिजली कम्पनियों पर 300 करोड़ रुपए की पेनल्टी भी लगाई गई, जबकि वर्ष 2013 से 2018 की तत्कालीन भाजपा सरकार ने उदय योजना के माध्यम से बिजली कम्पनियों के 62 हजार करोड़ रुपए से अधिक का कर्ज अपने ऊपर लेकर उन्हें ऋणभार से मुक्ति दिलाई थी।
वर्तमान सरकार ने किए करीब 32 हजार मेगावाट के एमओयू
ऊर्जा राज्यमंत्री नागर ने कहा कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में राज्य सरकार प्रदेष के बिजली तंत्र को सुदृढ़ करने की सोच के साथ आगे बढ़ रही है। हमारी सरकार ने आते ही 31 हजार 825 मेगावाट से अधिक बिजली उत्पादन की विभिन्न परियोजनाओं सहित ऊर्जा क्षेत्र के विकास के लिए 1 लाख 60 हजार करोड़ रुपये के निवेश के लिए राज्य के 3 विद्युत निगमों एवं 6 केन्द्रीय उपक्रमों के बीच एमओयू किए। इससे आने वाले समय में बिजली उत्पादन के क्षेत्र में राजस्थान आत्मनिर्भर बनेगा। हम इन प्रोजेक्टों को जमीनी स्तर पर परिणत करने की दिषा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।
अन्य राज्यों को लौटानी पड़ रही है बिजली
ऊर्जा राज्यमंत्री नागर ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार ने बैंकिंग व्यवस्था के तहत वर्ष 2023 के सितम्बर माह में रबी सीजन की बिजली की मांग को पूरा करने के लिए अन्य राज्यों से बिजली लेने का करार किया था। कांग्रेस सरकार के उस कर्ज को हमारी सरकार चुका रही है। ऐसे विषम समय में जबकि हमारी सरकार प्रदेषवासियों के लिए एक-एक यूनिट बिजली की आपूर्ति सुनिष्चित करने में जुटी है, पूर्ववर्ती सरकार के अविवेकपूर्ण निर्णय के कारण प्रतिदिन 147 लाख यूनिट बिजली लौटानी पड़ रही है।
पीएम-कुसुम सी में भी नहीं हुआ अपेक्षित काम
ऊर्जा राज्यमंत्री नागर ने बताया कि केन्द्र सरकार द्वारा वर्ष 2019 में शुरू की गई पीएम-कुसुम योजना घटक सी (फीडर लेवल सोलराइजेशन) में पूर्ववर्ती राज्य सरकार के समय कोई प्रगति नहीं हुई। प्रदेश में वर्ष 2021 और 2022 में इस योजना में एक भी कार्यादेश जारी नहीं किए गए। दिसम्बर 2023 तक 15,300 कृषि उपभोक्ताओं के सोलराइजेशन के लिए केवल 139 मेगावाट सौर पीवी क्षमता के कार्यादेश जारी किए गए। इन 139 परियोजनाओं में से भी 4 मेगावाट क्षमता की केवल एक परियोजना आज तक चालू हो सकी है। वर्तमान राज्य सरकार ने वर्ष 2024 के 5 महीनों में ही पीएम- कुसुम योजना के तहत फीडर स्तर के सोलराइजेशन के लिए 20 गुना अधिक यानी 3,368 मेगावाट सौर पीवी क्षमता के कार्यादेश प्रदान कर दिए हैं। आने वाले समय में इसका फायदा राजस्थान के दो लाख से अधिक कृषि उपभोक्ताओं को मिलेगा और डिस्कॉम्स को भी सस्ती दर पर बिजली उपलब्ध हो सकेगी। जल्द ही 4 हजार मेगावाट क्षमता के और प्लांट आने की प्रक्रिया में हैं।
कांग्रेस सरकार में कोयले की कमी से जूझता रहा प्रदेश
ऊर्जा राज्यमंत्री नागर ने बताया कि पिछली सरकार के समय प्रदेश के थर्मल पॉवर स्टेशन कोयले की कमी से जूझ रहे थे और जो कोयला खरीदा गया वह भी मापदंडों के अनुसार नहीं खरीदा गया। घटिया कोयले के कारण संयंत्रों को नुकसान पहुंचा और इनके बार-बार मेंटेनेन्स की जरूरत पड़ रही है। श्री नागर ने बताया कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में वे फरवरी माह में दिल्ली गए थे और गर्मी के मौसम में बिजली की मांग में संभावित वृद्धि को देखते हुए केन्द्रीय कोयला एवं खान मंत्री श्री प्रहलाद जोशी से वार्ता कर प्रदेष में कोयले की निरंतर उपलब्धता सुनिश्चित करवाई थी। इसी का नतीजा है कि वर्तमान में प्रदेष के बिजलीघरों को भरपूर कोयला मिल रहा है। कोयले की कहीं कोई कमी नहीं है।
ऊर्जा राज्यमंत्री नागर ने बताया कि राज्य सरकार भविष्य में प्रदेश की ऊर्जा आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए ऊर्जा उत्पादन बढ़ाने से लेकर प्रसारण एवं वितरण तंत्र को मजबूत बनाने की दिशा में समग्र रूप से कार्य कर रही है। लगभग 32 हजार मेगावाट की बिजली उत्पादन परियोजनाओं के एमओयू सहित अन्य जो महत्वपूर्ण कदम राज्य सरकार ने उठाए हैं, उससे आने वाले वर्षों में बिजली संकट की स्थिति उत्पन्न नहीं होगी और प्रदेश के ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने का मार्ग प्रशस्त हो सकेगा।