कोचिंग हब कोटा के बाद अब सीकर सुसाइड सिटी बनने की ओर बढ़ रहा है। कॉम्पिटिशन के बीच मानसिक तनाव इसका सबसे बड़ा कारण है। 16वीं विधानसभा में विधायक युनूस खान की ओर से लगाए गए प्रश्न के जवाब में उच्च शिक्षा विभाग ने बताया कि पिछले 5 साल यानी 1 जनवरी 2019 से 31 जनवरी 2024* के बीच 71 कोचिंग छात्रों ने आत्महत्या की।
इनमें 55 छात्र (77%) कोटा और 16 (23%) सीकर के हैं। सीकर में तो पिछले 3 साल में ही 13 छात्रों ने जान दी। चौंकाने वाली बात है कि मेडिकल फील्ड के छात्र ज्यादा तनाव में हैं। आत्महत्या करने वालों में 62% मेडिकल छात्र, 35% आईआईटी-जेईई और 3% अन्य हैं।
कोरोनाकाल में घर में रहे छात्र; परिवार का साथ यानी तनाव से दूरी, इसके बाद ज्यादा बढ़े मामले
आंकड़ों की मानें तो 2020 और 2021 के दो सालों में कोटा और सीकर दोनों में आत्महत्या की घटनाएं बहुत कम हुईं। कोरोनाकाल में छात्र परिवार वालों के साथ घरों में ही रहे। ऐसे में तनाव बहुत कम रहा। 2020 में सीकर और 2021 में कोटा में मौतों का आंकड़ा शून्य रहा।
सरकार ने माना- बिना पंजीकृत संचालित हो रहे कोचिंग संस्थान
जवाब में सरकार ने माना है कि पंजीकरण संबंधी नियम नहीं होने के कारण वर्तमान में कोचिंग संस्थान बिना पंजीकृत संचालित हो रहे हैं। उच्च शिक्षा विभाग ने बताया कि केंद्र सरकार ने इस साल जनवरी में कोचिंग संस्थानों के लिए जारी गाइडलाइंस की पालना करते हुए सभी जिला कलेक्टरों को भिजवा दी है। विधेयक के अस्तित्व में आने के बाद ही रजिस्ट्रेशन शुरू होगा।