Monday, December 23, 2024

जस्टिस अनूप कुमार ढंढ की सकारात्मक सोच के साथ पहल-हाईकोर्ट ने हीटवेव से हो रहीं मौतों के मामले में स्वप्रसंज्ञान लेते हुए राष्ट्रीय आपदा घोषित करके सरकार को निपटने के लिए एडवांस तैयारी करने और मुआवजा देने के दिए निर्देश

Must read

देशभर में भीषण गर्मी और हीटवेव से सैकड़ों मौतें हो चुकी हैं, लेकिन सरकारें इस ओर ध्यान नहीं दे रही हैं। यह टिप्पणी गुरुवार को राजस्थान हाईकोर्ट ने हीटवेव से हो रहीं मौतों के मामले में स्वप्रसंज्ञान लेते हुए की।

जस्टिस अनूप कुमार ढंढ ने कहा कि अब समय आ गया है, जब हीटवेव (लू) और कोल्डवेव (शीतलहर) को राष्ट्रीय आपदा घोषित करके इनसे निपटने के लिए एडवांस तैयारी की जाए।

कोर्ट ने राज्य सरकार को हीटवेव से होने वाली मौतों के मामले में उचित मुआवजा देने के निर्देश भी दिए हैं। साथ ही कोर्ट ने लोगों को राहत देने के लिए सरकार को कई दिशा-निर्देश भी जारी किए हैं। राजस्थान में गर्मी-हीटवेव से अब तक 61 लोगों की मौत हो चुकी है।
हाईकोर्ट ने कहा कि 18 दिसंबर 2015 को केंद्र सरकार ने राज्यसभा में मृत्यु निवारण और शीतलहर विधेयक 2015 पेश किया था, लेकिन यह विधेयक आज तक कानून का रूप नहीं ले सका। केंद्र सरकार 8-9 साल से ज्यादा का समय बीत जाने के बाद भी इस विधेयक को सदन में पारित नहीं करवा पाई है। यह विधेयक आज भी ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ है।
जस्टिस अनूप ढंढ ने अपने आदेश की शुरुआत में लिखा कि पूरे ब्रह्मांड में पृथ्वी एक ऐसा ग्रह है, जहां जीवन है। हमारे पास दूसरे ग्रह का कोई विकल्प नहीं है, जिस पर हम शिफ्ट हो सकें। उन्होंने आदेश में लिखा कि पृथ्वी हमें भगवान का सबसे अनमोल तोहफा है। इस धरती ने हमें सब कुछ दिया है। जिस तरह से एक मां अपने बच्चे का पोषण करती है, उसी तरह से धरती ने हमारा पोषण किया है, इसलिए हम इसे धरती मां कहते हैं, लेकिन आज धरती तकलीफ में है। हमें इस धरती मां को बचाना होगा ताकि हमारी आने वाली पीढ़ी एक सुरक्षित वातावरण में रह सकें। अगर हम आज नहीं संभले तो हम आने वाली पीढ़ियों को हमेशा के लिए फलते-फूलते देखने का मौका खो देंगे।
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि हीटवेव एक्शन प्लान को प्रभावी रूप से लागू करें। उन सड़कों पर पानी का छिड़काव किया जाए, जहां लोगों की ज्यादा आवाजाही रहती है। सड़कों और राजमार्गों पर छाया के लिए जगह चिह्नित की जाए। वहां पीने का पानी, ओआरएस और आम पना जैसे शीतल पेय पदार्थों की व्यवस्था की जाए। मजदूर, ठेला और रिक्शा चालकों को दोपहर 12 से 3 बजे तक आराम करने की अनुमति दी जाए। अधिक गर्मी की स्थिति में लोगों को सचेत करने के लिए बल्क मैसेज, प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से अलर्ट भेजे जाएं।

More articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest article