Monday, December 23, 2024

AMU का अल्पसंख्यक दर्जा बहाल! क्या SC-ST को आरक्षण मिलेगा?

Must read

सुप्रीम कोर्ट ने आज 9 नवंबर को अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) के अल्पसंख्यक दर्जे को लेकर फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर यह बहस शुरू कर दी है कि क्या AMU का अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा बहाल किया जाना चाहिए या नहीं। इस फैसले का इतिहास, इसके कारण, और इसका वर्तमान में क्या प्रभाव पड़ेगा – इस आर्टिकल में इन सभी बिंदुओं को विस्तार से समझिए। 


सबसे पहले, थोड़ा इतिहास पर नजर डालते हैं।

  • 1875 में सर सैयद अहमद खान ने अलीगढ़ में मुस्लिम शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए एक मदरसा शुरू किया था, जिसे बाद में मुहम्मदन एंग्लो-ओरिएंटल कॉलेज का नाम दिया गया।
  • 1920 में इसे अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के रूप में पहचान मिली और इसका उद्देश्य मुस्लिम छात्रों को उच्च शिक्षा देना था।
  • 1967 में, सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में AMU को अल्पसंख्यक संस्थान मानने से इनकार कर दिया।
  • 1981 में, केंद्र सरकार ने एक नया एक्ट पास करके AMU को अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा फिर से बहाल कर दिया।

लेकिन, 2006 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने यह दर्जा रद्द कर दिया, और मामला फिर से सुप्रीम कोर्ट में आ गया। इस बार, सुप्रीम कोर्ट के सामने यह चुनौती थी कि क्या AMU संविधान के अनुच्छेद 30 के तहत अल्पसंख्यक दर्जा पा सकती है।


8 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने अपने 7 जजों की बेंच द्वारा फैसला सुनाते हुए दो प्रमुख बातें कही हैं:

  1. 1967 का फैसला निरस्त किया – जिसमें AMU का अल्पसंख्यक दर्जा खत्म किया गया था।
  2. आगे की प्रक्रिया के लिए नई बेंच – अब यह मामला तीन जजों की नई बेंच को सौंपा जाएगा, जो यह तय करेगी कि AMU अल्पसंख्यक संस्थान है या नहीं।

CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि किसी संस्थान को अल्पसंख्यक दर्जा देने के लिए सिर्फ उसकी स्थापना में अल्पसंख्यक समुदाय की भागीदारी देखी जानी चाहिए, यह जरूरी नहीं कि इसके संचालन में भी वही शामिल हों।

https://www.youtube.com/watch?v=yAi4OPTK9Cs


अब सवाल यह उठता है कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का क्या असर होगा?

  • इस फैसले से AMU में छात्रों के प्रवेश और आरक्षण की प्रक्रिया पर असर पड़ सकता है। AMU के छात्र संघ सचिव उबैद सिद्दीकी के मुताबिक, “यह फैसला राहत जरूर है, लेकिन कोई जश्न मनाने जैसा नहीं।
  • अल्पसंख्यक दर्जा मिलने पर SC-ST के लिए आरक्षण की कोई बाध्यता नहीं होगी, जिससे सरकार के आरक्षण नियम लागू नहीं होंगे।
  • अल्पसंख्यक दर्जा मिलने से AMU अपने एडमिशन, स्टाफ अपॉइंटमेंट्स और अन्य प्रक्रियाओं में सरकार के हस्तक्षेप से स्वतंत्र रहेगी।


संविधान का अनुच्छेद 30 अल्पसंख्यक समुदायों को अपने शिक्षण संस्थान स्थापित करने और उन्हें चलाने का अधिकार देता है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले में यह स्पष्ट किया गया है कि AMU की स्थापना भले ही सरकार द्वारा की गई थी, लेकिन उसकी जड़ें अल्पसंख्यक समुदाय से जुड़ी हैं।
आखिरकार, सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला एक महत्वपूर्ण मोड़ है, जिससे यह तय होगा कि भविष्य में AMU को अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा मिलेगा या नहीं। अब सभी की नजरें तीन जजों की नई बेंच पर होंगी, जो इसका अंतिम निर्णय लेगी।

More articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest article