Monday, December 23, 2024

Dussehra 2024 Date: दशहरा कब है, जानिए शुभ महुर्त और दशहरा क्यों मनाया जाता है, दशहरा पौराणिक कथा

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दशहरा का त्योहार इस वर्ष 12 अक्टूबर, शनिवार को मनाया जाएगा, लेकिन इस बार दशमी तिथि दो दिनों तक चलेगी, जिससे कुछ भ्रम की स्थिति बन गई है। ड्रीक पंचांग के अनुसार, दशमी तिथि 12 अक्टूबर को सुबह 10:58 बजे से प्रारंभ होकर 13 अक्टूबर को सुबह 9:08 बजे तक चलेगी। इसी कारण इस बार दशहरा 12 अक्टूबर को मनाने की तिथि निर्धारित की गई है।

दशहरा 2024: तिथि और समय Dussehra 2024 Shubh Muhurat

  • विजय मुहूर्त: 12 अक्टूबर को दोपहर 2:03 बजे से 2:49 बजे तक
  • अपराहण पूजा मुहूर्त: 12 अक्टूबर को दोपहर 1:17 बजे से 3:35 बजे तक
  • दशमी तिथि शुरू: 12 अक्टूबर को 10:58 AM
  • दशमी तिथि समाप्त: 13 अक्टूबर को 9:08 AM
  • श्रवण नक्षत्र शुरू: 12 अक्टूबर को सुबह 5:25 AM
  • श्रवण नक्षत्र समाप्त: 13 अक्टूबर को सुबह 4:27 AM

दशहरा क्यो मनाया जाता है?


दशहरा, जिसे विजयदशमी भी कहा जाता है, अच्छे और बुरे के बीच की लड़ाई का प्रतीक है, जो हिंदू संस्कृति का एक महत्वपूर्ण विषय है। यह पर्व दो प्रमुख पौराणिक घटनाओं का प्रतिनिधित्व करता है: भगवान राम द्वारा रावण की पराजय और देवी दुर्गा द्वारा महिषासुर पर विजय।

ड्रीक पंचांग के अनुसार, “दशहरा भगवान राम की राक्षस रावण पर विजय और देवी दुर्गा की महिषासुर पर विजय के रूप में मनाया जाता है।” यह हमें याद दिलाता है कि बुराई चाहे कितनी भी शक्तिशाली क्यों न हो, अच्छाई हमेशा विजयी होती है।

दशहरा मनाने के पीछ दो पौराणि्क कहानियां प्रचलित हैं पहली भगवान राम और रावण की दूसरी मां जगदम्बा ने महिषासुर का वध किया इस विजय के उपलक्ष्य में विजयदशमी का पर्व मनाया जाता है. आइए जानते हैं दशहरा पर कौनसी पौराणिक कहानियां प्रचलित हैं.

भगवान राम और रावण की कहानी

दशहरा का त्यौहार रामायण की कहानी से जुड़ा हुआ है, जिसमें रावण, लंका का राजा, भगवान राम की पत्नी सीता का अपहरण कर ले जाता है। राम, अपने भाई लक्ष्मण और भक्त हनुमान के साथ मिलकर रावण से युद्ध करने के लिए सेना (वानर सेना) बनाते हैं। युद्ध के दसवें दिन, राम रावण को मार देते हैं, जो अच्छे के बुराई पर विजय का प्रतीक है।

इस विजय के उपलक्ष्य में, देश के कई हिस्सों में रावण, कुंभकर्ण, और मेघनाद के पुतले जलाए जाते हैं। यह कार्य बुराई का नाश और भगवान राम की दृढ़ता को दर्शाता है।

महिषासुर पर देवी दुर्गा की विजय


भगवान राम की विजय के साथ-साथ, दशहरा देवी दुर्गा की महिषासुर पर विजय का भी पर्व है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, महिषासुर ने स्वर्ग और पृथ्वी पर आतंक मचाया था, और माँ दुर्गा ने नौ रातों तक चले युद्ध के बाद, दसवें दिन उसे पराजित किया।

बंगाल और अन्य क्षेत्रों में विजयदशमी के मौके पर दुर्गा पूजा का समापन होता है, जिसमें दुर्गा की प्रतिमाओं का विसर्जन और भव्य जुलूस होता है। इस त्योहार का एक प्रमुख हिस्सा है सिन्दूर खेला, जिसमें महिलाएं एक-दूसरे पर सिन्दूर लगाती हैं, और धुनुची नृत्य भी होता है।

दशहरा का सांस्कृतिक और धार्मिक प्रभाव


दशहरा न केवल नवरात्रि का समापन करता है, बल्कि दीवाली, प्रकाश का त्योहार, की तैयारी का भी समय होता है। दशहरा और दीवाली के बीच का समय विशेष रूप से शुभ माना जाता है, जिसमें कई परिवार नए व्यवसाय शुरू करते हैं या महत्वपूर्ण खरीदारी करते हैं।

उत्तर भारत में रावण के पुतले जलाने का कार्यक्रम मुख्य आकर्षण होता है, जबकि दक्षिण भारतीय राज्यों में स्थानीय परंपराओं और किंवदंतियों का सम्मान किया जाता है। जैसे कि मैसूर में, दशहरा का जुलूस भव्य होता है, जिसमें हाथी, झांकी, और सांस्कृतिक प्रदर्शनी शामिल होती है।


जैसे-जैसे लोग भारत भर में दशहरा मनाने की तैयारी कर रहे हैं, यह त्योहार हमें यह याद दिलाता है कि अच्छाई हमेशा बुराई पर विजय प्राप्त करेगी। विजयदशमी की शुभकामनाएं!

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