Friday, October 11, 2024

राजस्थान में गिग कर्मकार क़ानून लागू नहीं होने से गिग वर्कर की सामाजिक सुरक्षा अधरझुल में – निखिल डे

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जयपुर, 23 सितंबर 2024
सूचना एवं रोजगार अधिकार अभियान ने आज एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया, जिसमें राजस्थान में गिग श्रमिकों के अधिकारों की चिंताजनक स्थिति पर चर्चा की गई। यह चर्चा राजस्थान प्लेटफॉर्म आधारित गिग वर्कर्स (पंजीकरण और कल्याण) अधिनियम, 2023 के एक साल पूरा होने पर भी सरकार ने नियम बनाकर क़ानून लागू नहीं किया इस पर रखी गई।


तेजी से बढ़ती गिग इकोनॉमी में जो सड़क पर सबसे ज्यादा दिखते हैं, वे श्रम कानूनों में अदृश्य हैं। न तो कंपनियां और न ही सरकार गिग वर्कर्स की सामाजिक सुरक्षा और श्रमिक अधिकारों को लेकर गंभीर हैं। रोहित रमानी की मौत ने राजस्थान में गिग वर्कर्स की स्थिति को उजागर किया है। वह अपने परिवार का इकलौता कमाने वाला सदस्य थे, और अब उसके बुजुर्ग माता-पिता की देखभाल करने वाला कोई नहीं बचा है। इस घटना से पूरे राजस्थान में गिग वर्कर्स समुदाय में शोक की लहर फैल गई है।


मजदूर किसान शक्ति संगठन के संस्थापक, निखिल डे ने कहा, “राजस्थान प्लेटफॉर्म आधारित गिग वर्कर्स (पंजीकरण और कल्याण) अधिनियम, 2023 को पारित हुए एक वर्ष हो गया है, लेकिन सरकार ने इसे लागू करने के लिए नियम नहीं बनाए हैं।” निखिल डे ने “रेटिंग नहीं, हक चाहिए” का नारा लगाते हुए कहा की जब तक सरकार क़ानून लागू कर सामाजिक सुरक्षा नहीं देगी तब तक गिग श्रमिकों को गरिमापूर्ण ज़िंदगी जीने का हक़ नही मिलेगा।


33 साल के असगर खान का एक्सीडेंट मार्च, 2024 को स्विगी के लिए डिलीवरी करते हुवे हुआ। उनके घुटने में दो जगह फ्रेक्चर हुआ जिस वजह से डॉक्टर ने उनको 3 महीने आराम करने के लिए कहा। कंपनी ने बिमा के पैसे से दवाई, इलाज और बेड रेस्ट समय में उनको घर चलाने के लिए भुगतान की बात कही लेकिन टीम लिड से मीटिंग के कहि चक्कर लगाने के बावजूत उनकी कोई मुहावजा नहीं मिला। “कम्पनी की सारी पॉलिसी कागजो में ही है और गिग वर्कर को कुछ मुहावजा नही मिल रहा है।” यहाँ असगर खान का कहना है।


कंपनियाँ अक्सर अनुशासनात्मक कार्रवाई के तहत वर्कर्स के आईडी को ब्लॉक कर देती हैं, और वर्कर्स के पास अपना पक्ष रखने के लिए कोई मंच नहीं है। कई वर्कर्स ने टीम लीडर और ग्राहकों से मौखिक उत्पीड़न का सामना किया है, लेकिन शिकायतों के निवारण के लिए कोई मंच उपलब्ध नहीं है। पूर्व ज़ोमैटो डिलीवरी कार्यकर पुष्पेंद्र ने कहा कि गिग वर्कर्स की श्रम की गरिमा का कोई सम्मान नहीं है और मौखिक उत्पीड़न बहुत आम है।


धौलपुर और भीलवाड़ा के गिग वर्कर्स ने राजस्थान संपर्क पोर्टल पर पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा की गई घोषणा के तहत ₹5,000 का लाभ पाने के लिए शिकायतें दर्ज की थीं। हालांकि, उनकी शिकायतों को श्रम विभाग ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि राजस्थान प्लेटफॉर्म आधारित गिग वर्कर्स (पंजीकरण और कल्याण) अधिनियम, 2023 के तहत कोई सरकारी आदेश जारी नहीं किया गया है।


सफ़र से जुड़े पारस बंजारा ने बताया कि 2024-25 के वित्तीय वर्ष में सरकार ने ₹250 करोड़ की घोषणा की थी, लेकिन कोई योजना या कार्यक्रम लागू नहीं हुआ। इस कारण गिग वर्कर्स का सरकार की घोषणाओं से विश्वास उठने लगा है।


संयुक्त बयान में सूचना एवं रोज़गार अधिकार अभियान, मजदूर किसान शक्ति संगठन, और सोशल अकाउंटेबिलिटी फोरम फॉर एक्शन एंड रिसर्च ने सरकार से राजस्थान प्लेटफॉर्म आधारित गिग वर्कर्स (पंजीकरण और कल्याण) अधिनियम, 2023 तुरंत नियम बनाकर क़ानून लागू करने की अपील की।

अभियान की निम्नांकित माँगे है-
1राजस्थान प्लेटफार्म आधारित गिग कर्मकार (पंजीकरण एवं कल्याण ) अधिनियम, 2023 नियम तुरंत बनाकर क़ानून लागू करावे.

2 बजट में घोषित 250 करोड़ की निधि का गिग वर्कर्स की सामाजिक सुरक्षा के लिए इस्तेमाल के प्रावधान करे तथा गिग वर्कर को लाभ दिया जाना सुनिश्चहित करावे।

3 पंजीकृत गिग वर्कर को 5000 रुपए की प्रोत्साहन राशि का भुगतान किया जाए।

4 गिग कर्मकारों के पंजीयन हेतु बने पोर्टल को सुचारु किया जाए।

5 गिग कर्मकारों की विभिन्न प्रकार की शिकायतों के समाधान की व्यवस्था हेतु एक शिकायत निवारण ढाँचा बनाया जाए। राजस्थान सम्पर्क पोर्टल पर दर्ज कराने की व्यवस्था की जाए।

6 गिग कर्मकार क़ानून के लागू नहीं होने तक एक नोडल अधिकारी की नियुक्ति की जाए।

7 ज़ोमैटो के लिए काम करते समय एक दुर्घटना में मारे गए 26 वर्षीय रोहित रमानी के परिवार को पर्याप्त आर्थिक सहायता प्रदान की जाए।

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