Monday, December 23, 2024

Jodhpur Anita Choudhary Murder अनीता चौधरी हत्याकांड में आंदोलन का निर्णय आज, आरोपी की गिरफ्तारी को लेकर बढ़ी नाराजगी

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जोधपुर: ब्यूटीशियन अनीता चौधरी की हत्या के सात दिन बाद भी मुख्य आरोपी गुलामुद्दीन की गिरफ्तारी नहीं हो पाई है, जिससे जनाक्रोश बढ़ता जा रहा है। इस मामले में जाट समाज सहित सर्व समाज की बैठकें चल रही हैं, और आज आंदोलन की अगली रणनीति पर निर्णय होने की संभावना है। बुधवार को प्रस्तावित इस बैठक में गुरुवार को जोधपुर बंद का आह्वान करने की भी संभावना है।

अनीता चौधरी हत्याकांड को लेकर समाज में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। मंगलवार को विभिन्न समाजों के प्रतिनिधियों ने एकजुट होकर सरकार से त्वरित कार्रवाई की मांग की। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और जाट समाज के राजा राम मील ने सरकार पर दबाव डाला है कि मुख्य आरोपी को जल्द गिरफ्तार किया जाए। नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने भी जोधपुर पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कड़ी कार्रवाई की मांग की है।

घटना के बाद मामले में बैठकों का दौर जारी

मंगलवार को देर रात तक चली सर्व समाज की बैठक में शंकर समिति के प्रदीप बेनीवाल, मारवाड़ राजपूत सभा के हनुमान सिंह घंटा और भोपालगढ़ के पूर्व विधायक पुखराज गर्ग जैसे वरिष्ठ नेताओं ने भाग लिया। इसके अतिरिक्त, जाट समाज के अन्य नेता भी मौजूद थे। शंकर समिति के अनुसार, बुधवार को एक और बैठक होगी जिसमें आंदोलन की रूपरेखा तय की जाएगी।

अनीता चौधरी मर्डर, क्या है पूरा मामला

अनीता चौधरी 27 अक्टूबर को अपने पार्लर से ऑटो में बैठकर गंगाना गांव जा रही थीं। ऑटो के आगे गुलामुद्दीन की एक्टिवा थी। गुमशुदगी दर्ज होने के बाद जांच में पाया गया कि अनीता को गुलामुद्दीन के घर के पास उतारा गया था। इसके बाद, 30 अक्टूबर को अनीता का शव छह टुकड़ों में मिला। इस जघन्य अपराध के बाद से गुलामुद्दीन फरार है, और पुलिस ने उसकी पत्नी को गिरफ्तार कर लिया है, जो रिमांड पर है।

अनीता मर्डर मामले में उग्र हो सकता है आंदोलन, पिछला इतिहास


राजस्थान में समाजिक न्याय और आरोपियों की गिरफ्तारी को लेकर पहले भी आंदोलन हुए हैं। जाट समाज और अन्य समुदायों की एकजुटता ने कई बार प्रशासन पर दबाव बढ़ाया है। पिछली घटनाओं से यह देखा गया है कि समाजिक मुद्दों पर यदि त्वरित कार्रवाई नहीं होती है, तो आंदोलन विकराल रूप धारण कर सकते हैं।

इस घटना के साथ एक बार फिर कानून व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं और राज्य सरकार को भी सामाजिक दबाव का सामना करना पड़ रहा है।

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