जस्टिस संजीव खन्ना को भारत के 51वें चीफ जस्टिस के रूप में नियुक्त किया गया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें सोमवार को राष्ट्रपति भवन में शपथ दिलाई। इससे पहले, पूर्व चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने 10 नवंबर को सेवानिवृत्ति ली थी।
जस्टिस खन्ना का कार्यकाल 6 महीने का होगा, और वह 13 मई 2025 को 65 वर्ष की उम्र में सेवानिवृत्त होंगे। सुप्रीम कोर्ट में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने 65 फैसले लिखे और 275 बेंचों का हिस्सा रहे। जस्टिस खन्ना का परिवार न्यायिक क्षेत्र में लंबे समय से सक्रिय है। उनके चाचा, जस्टिस हंसराज खन्ना, सुप्रीम कोर्ट के जज थे, जिन्होंने आपातकाल के दौरान स्वतंत्रता का समर्थन किया और अपनी वरिष्ठता के बावजूद चीफ जस्टिस नहीं बनाए जाने पर इस्तीफा दे दिया था।
चीफ जस्टिस बनने की प्रक्रिया और योग्यता
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) की नियुक्ति का अधिकार केंद्र सरकार के पास होता है, लेकिन परंपरानुसार यह नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट में सबसे वरिष्ठ जज को दी जाती है। सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जजों की नियुक्ति एक विशेष प्रक्रिया के तहत होती है जिसे ‘कॉलेजियम प्रणाली’ कहा जाता है। इस प्रणाली में सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठतम जज शामिल होते हैं जो नए जजों के नाम की सिफारिश करते हैं।
- सिफारिश: मौजूदा CJI रिटायरमेंट के 1 महीने पहले अपने उत्तराधिकारी का नाम सुझाते हैं।
- स्वीकृति: कानून मंत्री इसे प्रधानमंत्री के पास भेजते हैं।
- नियुक्ति: प्रधानमंत्री राष्ट्रपति को नियुक्ति की सिफारिश भेजते हैं, जो अंततः नए CJI की नियुक्ति करते हैं।
परंपरानुसार, CJI बनने के लिए सुप्रीम कोर्ट का सबसे वरिष्ठ जज होना आवश्यक होता है, और इस व्यवस्था का पालन 1999 में तैयार ‘मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर फॉर द अपॉइंटमेंट ऑफ सुप्रीम कोर्ट जजेज’ (MoP) के अनुसार किया जाता है।
जस्टिस संजीव खन्ना के प्रमुख फैसले
सुप्रीम कोर्ट में अपने कार्यकाल के दौरान, जस्टिस संजीव खन्ना ने कई ऐतिहासिक फैसले दिए हैं, जिनमें शामिल हैं:
- इलेक्टोरल बॉन्ड: जस्टिस खन्ना की बेंच ने इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को असंवैधानिक करार देते हुए कहा कि यह योजना वोटर्स के सूचना के अधिकार का उल्लंघन करती है।
- अनुच्छेद 370: जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका में, जस्टिस खन्ना की बेंच ने इसे बरकरार रखा।
- सूचना का अधिकार: न्यायपालिका की स्वतंत्रता के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि चीफ जस्टिस का कार्यालय सूचना के अधिकार के अधीन हो सकता है, लेकिन इसके लिए निजता और पारदर्शिता के बीच संतुलन आवश्यक है।
जस्टिस और चीफ जस्टिस में अंतर
- जज: एक सुप्रीम कोर्ट जज संविधान के मुताबिक न्यायिक फैसले लेने का अधिकार रखता है। उनके फैसले भारतीय कानून के अनुसार होते हैं और वे संविधान की रक्षा में योगदान देते हैं।
- चीफ जस्टिस: चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया न केवल सर्वोच्च न्यायालय का नेतृत्व करता है बल्कि न्यायिक प्रणाली को सही दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
भविष्य की चुनौतियाँ और जिम्मेदारियाँ
जस्टिस संजीव खन्ना के कार्यकाल के दौरान, वे कई महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई करेंगे:
- मैरिटल रेप: वैवाहिक दुष्कर्म के मुद्दे पर संवैधानिक निर्णय।
- चुनाव आयोग के सदस्यों की नियुक्ति प्रक्रिया।
- बिहार जातिगत जनगणना की वैधता।
- सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश का पुनर्विचार।
- राजद्रोह (Sedition) कानून की संवैधानिकता।
चीफ जस्टिस के रूप में, जस्टिस खन्ना का कार्यकाल भले ही कम हो, लेकिन उनके सामने कई महत्वपूर्ण मामले हैं, जिनके फैसले भारतीय न्याय प्रणाली पर स्थायी प्रभाव डाल सकते हैं।