नई दिल्ली, 21 अक्टूबर 2024:
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की बेंच ने आज एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए भारत में Demolition Policies को लेकर महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए हैं। यह फैसला उन मामलों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है, जिनमें अपराध के आरोपी या दोषी व्यक्तियों की संपत्तियों को राज्य सरकारों द्वारा ध्वस्त किया जाता है। इस फैसले में राजस्थान के जयपुर और उदयपुर के मामलों पर भी विचार किया गया, जिसमें राज्य का प्रतिनिधित्व सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और अतिरिक्त महाधिवक्ता शिव मंगल शर्मा ने किया।
प्रमुख निर्देश:
- नोटिस की अवधि: सभी राज्यों को कम से कम 15 दिन का कारण बताओ नोटिस देना होगा, ताकि प्रभावित व्यक्ति अपनी बात रख सकें।
- नोटिस की सेवा: नोटिस पंजीकृत डाक के माध्यम से भेजा जाएगा और संबंधित संपत्ति पर चिपकाया जाएगा।
- नोटिस में जानकारी: नोटिस में संरचना का प्रकार, उल्लंघन का विवरण, आवश्यक दस्तावेजों की सूची, और सुनवाई की तारीख का उल्लेख होना अनिवार्य होगा।
- डिजिटल पारदर्शिता: सभी नगर निगमों को तीन महीनों के भीतर एक पोर्टल बनाना होगा, जहां विध्वंस नोटिस और शिकायतों के लिए ईमेल सुविधा उपलब्ध होगी।
- तार्किक आदेश: अंतिम विध्वंस आदेश में उल्लंघन का विवरण और अपील के लिए 15 दिन का समय दिया जाएगा।
- वीडियोग्राफी: सभी विध्वंस कार्यों की वीडियोग्राफी अनिवार्य की गई है।
- उल्लंघन पर जिम्मेदारी: इस आदेश का उल्लंघन करने पर संबंधित अधिकारी को पुनर्स्थापना की लागत वहन करनी होगी।
प्रमुख मुद्दे:
- कानून का पालन: राज्य सरकारें विधि प्रक्रिया के अंतर्गत ही कार्रवाई कर सकती हैं।
- प्राकृतिक न्याय: विध्वंस से पहले निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित करना अनिवार्य है।
- शक्ति विभाजन: राज्य की भूमिका केवल विधि अनुपालन तक सीमित होनी चाहिए।
- निर्दोषता की धारणा: अदालत ने इस बात को स्पष्ट किया कि व्यक्ति को दोष सिद्ध होने तक निर्दोष माना जाएगा।
- आवास का अधिकार: अनुच्छेद 21 के तहत हर व्यक्ति को आवास का अधिकार है।
- कार्यकारियों के लिए दिशा-निर्देश: अदालत ने अधिकारियों के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए हैं ताकि कोई मनमानी न हो।
- आरोपियों की सुरक्षा: राज्य की तानाशाही कार्रवाइयों से आरोपियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी।
- जवाबदेही: गलत विध्वंस के लिए संबंधित अधिकारी को उत्तरदायी ठहराया जाएगा।
इस फैसले के बाद उम्मीद की जा रही है कि राज्य सरकारें अधिक जिम्मेदारी और पारदर्शिता के साथ Demolition Policies को लागू करेंगी। अदालत ने इस फैसले को पारदर्शिता, निष्पक्षता, और न्याय के सिद्धांतों पर आधारित बताते हुए राज्यों को सख्त दिशा-निर्देश दिए हैं।