Wednesday, October 23, 2024

NSC9 एक्सपोज़- जोधपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड का बिजली ख़रीद में 4875 करोड़ का घोटाला

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राजस्थान में भले ही बीजेपी की सरकार आ गई हो और इस सरकार ने कई बड़े फ़ैसले लेते हुए जनता को राहत देने का काम किया हो लेकिन भ्रष्टाचार पर भजनलाल सरकार कि पकड़ अभी थोड़ी कम हैं इसका परिणाम ये हैं कि प्रदेश में हज़ारों करोड़ का घोटाला किया जा रहा हैं और रोकने वाला कोई नहीं।

बिजली विभाग में हर सरकार के लिए बिजली उत्पादन और उत्सर्जन के साथ साथ बिजली ख़रीद के बहुत बड़ा मुद्दा रहता हैं। गहलोत सरकार के समय भी प्रदेश पर बिजली संकट उत्पन्न हुआ था। जोधपुर विद्युत वितरण निगम के अधिकारियों में इन दिनों चाँदी हो रखी हैं उन्होंने सरकार को चूना लगाते हुए महँगी दरों पर बिजली करोड़ ली जिसका असर सरकार के राजस्व पर नुक़सानदायक होगा और अधिकारियों के लिए लाभदायक। आइये आपको समझाते हैं कि किस तरह से इस घोटाले को किया गया। कुसुम योजना के तहत 25 साल के लिए 2929 मेगावाट बिजली औसतन 3.50 रुपये प्रति यूनिट की दर पर ख़रीद जाएगी जबकि मध्यप्रदेश ऊर्जा विकास निगम ने इसी कुसुम योजना के तहत औसतन 3.10 रुपए प्रति यूनिट की दर से बिजली ख़रीद के अनुबंध किए है।
इन अनुबंधों के तहत जोधपुर विद्युत वितरण निगम 25 वर्षों में 12187 करोड़ यूनिट बिजली की ख़रीद 3.50 रुपए के हिसाब से 42654 करोड़ रुपये में करेगा।
जबकि अगर यही अनुबंध मध्यप्रदेश ऊर्जा विकास निगम की तर्ज़ पर किए जाते तो 12187 करोड़ यूनिट ख़रीद में 40 पैसे के हिसाब से 4875 करोड़ की बचत होती।
जोधपुर विद्युत निगम द्वारा इन अनुबंधों में MNRE की गाइडलाइन का भी उल्लंघन किया गया है, MNRE की गाइडलाइन के अनुसार बेनिफिट ऑफ़ इकोनॉमी ऑफ़ स्केल के लिए एक से अधिक सबस्टेशंस को समूह बनाकर सिंगल बिडिंग ग्रुप को प्रोत्साहित करना था जिससे सरकार को सस्ती बिड मिलती, MNRE गाइडलाइन के अनुसार सोलर पॉवर डेवलपर्स को सभी प्रोजैक्ट्स के लिये कॉमन टैरिफ़ कोट कर सिंगल PPA किए जाने को भी अनुमत किया गया था। जिससे अधिक प्रतिस्पर्द्धी दरों पर बिजली ख़रीद की जा सके।
महत्वपूर्ण बात यह है कि राजस्थान में बिजली ख़रीद के लिए बाक़ायद अलग कंपनी राजस्थान ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड अस्तित्व में है जिसका मुख्य कार्य बिजली ख़रीद व बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित करना है। जोधपुर विद्युत निगम द्वारा अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर बिजली ख़रीद के अनुबंध करना संदेहास्पद व मनमाना है।
RERC के द्वारा भी इसी योजना के तहत आदेश दिनांक 11/2/2020 के द्वारा सोलर प्लांट की ख़रीद दर 3.14 रुपये यूनिट निर्धारित की थी।
आज भी राज्य के जोधपुर निगम क्षेत्र में इकोनॉमिक स्केल के सोलर प्लांट की विद्युत क्रय दर 2.52-2.67 रुपये है।
केंद्र सरकार द्वारा इस योजना के तहत 7.5 एचपी के कृषि फीडर हेतु स्थापित प्लांट के लिए 1 करोड़ 5 लाख अनुदान(CFA) उपलब्ध है जोधपुर निगम क्षेत्र में अधिकांश कृषि पम्प सेट उच्च क्षमता के होने के कारण प्लांट्स के लिये CFA 1000 करोड़ होगा जो की मात्र 34 लाख रुपये प्रति मेगावाट होगा जबकि इसी क्षमता के प्लांट्स जयपुर व अजमेर निगम क्षेत्र में स्थापित होते हो उपरोक्त अनुदान लगभग 2500 करोड़ होता इस तरह से राज्य लगभग 1500 करोड़ की CFA हानि होगी।
कृषि ऑफ सीजन में यह सोलर पॉवर प्रवाह अपस्ट्रीम होगा इससे वोल्टेज फ़्लुक्चुएशन की समस्या और बढ़ जायेगी।

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