जल जीवन मिशन और PHED डिपार्टमेंट में हुए घोटालो को लेकर सरकार अब सख्त रवैया अपनाए हुए हैं। जल जीवन मिशन में हुए काम को लेकर घोटालों और कई तरह की अनियमिताओं को लेकर खबरें आ चुकी हैं। ED से लेकर तमाम एजेंसियां भी इस विभाग से जुड़े अधिकारी और पूर्व मंत्री के घर छापा मार कर कई दस्तावेज अपने पास लेकर जा चुकी हैं। अब बीजेपी की सरकार ने भ्रष्टाचार मुक्त शासन देने का वादा किया है, लिहाजा अब सरकार में विभाग दर विभाग इसकी शुरुआत की जा रही है और भ्रष्टाचार मुक्त काम कर जनता को लाभ देने की परिकल्पना को सरकार साकार करने में जुट गई है। इसी कड़ी में जलदाय विभाग में मेजरमेंट बुक को लेकर भजनलाल सरकार सख्त हो गई है।
मेजरमेंट बुक को लेकर राज्य सरकार ने विभाग के इंजीनियर के लिए सर्कुलर जारी किया है। इस सर्कुलर के जारी होने के साथ ही पीएचइडी विभाग में अधिकारियों और इंजीनियरों की धड़कने तेज हो गई है। इस सर्कुलर में कहा गया है कि यदि दफ्तर में मेजरमेंट बुक नहीं मिली तो संबंधित इंजीनियर पर कड़ी कार्रवाई होगी।
इंजीनियर की मेजरमेंट बुक या मैनेजमेंट बुक क्या हैं कहानी
सर्कुलर में लिखा गया है कि यह शिकायती मिलती है कि अभियंताओं द्वारा नियमित रूप से साइट पर कार्य का इंद्राज माप पुस्तिका में नहीं किया जा रहा है। यह माप पुस्तिका अन्य व्यक्तियों द्वारा भरी जाती है। इतना ही नहीं माप पुस्तिका ठेकेदारों के पास मिलती है। सभी फील्ड इंजीनियर को यह निर्देश दिए गए हैं कि नियमित रूप से माप पुस्तिका में एंट्री करें यदि ऐसा नहीं हुआ तो जिम्मेदार इंजीनियर के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।
मेजरमेंट बुक के मैनेजमेंट का हाल ही में ताजा उदाहरण सामने आया। जिसमें नॉर्थ थर्ड के तत्कालीन XEN गिरीश जैन ने बड़ा फर्जीवाड़ा किया था। जैन ने मेजरमेंट बुक में एंट्री किए बिना ही दो फर्जी प्रमाण पत्र दे दिए।
जोधपुर से जयपुर आयी जांच टीम
जोधपुर से जांच टीम जयपुर आयी आई तो गिरीश जैन के फर्जीवाडे की पोल खुल गई। अब गिरीश जैन पर जल्द कार्रवाई हो सकती है। फिलहाल गिरीश जैन को साउथ 4 की अहम जिम्मेदारी दे रखी है। इतना ही नहीं जल जीवन मिशन में घोटाले के मास्टरमाइंड पदमचंद जैन के होटल से ही 172 मैनेजमेंट बुक मिली थी, यानी सरकारी दस्तावेज ठेकेदारों के घर और दफ्तरों से मिल रहे हैं, जो की एक बहुत बड़ा चिंता का विषय है। अब सवाल यहां पर यह उठता है कि क्या विभाग का काम यह चुनिंदा ठेकेदार ही चला रहे थे। इंजीनियरों की मिली भगत भी इन ठेकेदारों के साथ में मानी जाएगी। जिसको लेकर यह मोटी कमाई कर रहे हैं।
गौरतलब है कि पिछले दिनों जल जीवन मिशन में अनियमितताओं और लापरवाही पर जलदाय मंत्री का कन्हैया लाल चौधरी ने बड़ा एक्शन लेते हुए पांच अभियंताओं को सस्पेंड कर दिया था। मंत्री का कन्हैया लाल चौधरी ने दौसा जिले के दौरे के दौरान जल जीवन मिशन के तहत चल रही परियोजनाओं का विभागीय अभियंताओं की 6 सदस्य टीम के साथ निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान विभिन्न स्थानों पर डाली गई पाइप लाइनों की गहराई नापने पर नियमानुसार कम पाई गई। निरीक्षण दल द्वारा माप पुस्तिका एवं लेआउट प्लान मांगे जाने पर संबंधित अभियंताओं द्वारा उपलब्ध नहीं कराया गया। योजना में खोदे गए 6 नलकूपों में से दो नलकूप को बंद पाए जाने के साथ ही अन्य कमियां पाई गई।निरीक्षण दल की जांच में परियोजना के कार्य निविदा शर्तों के अनुसार पूरे नहीं होना और परियोजनाओं में सुपरविजन की कमी भी पाई गई। इन अनियमिताओं एवं स्थानीय जनप्रतिनिधि द्वारा की गई शिकायतों को देखते हुए जलदाय मंत्री के निर्देश पर पांच अभियंताओं को निलंबित करने के लिए शासन सचिव डॉक्टर समित शर्मा ने आदेश निकाले थे।