अपनी समस्याओं को लेकर आज जयपुर के पीडब्ल्यूडी ऑफिस में वर्क्स कॉन्ट्रेटर्स एसोसिएशन ने पीडब्ल्यूडी के मुख्य अभियंता और अतिरिक्त सचिव को 15सूत्री मांग पत्र सौंपा।
लंबे समय से ठेकेदारों की ओर से पीडब्ल्यूडी विभाग को ठेकेदारों की समस्याओं के बारे में बताया जा रहा था,लेकिन विभाग की ओर से उनकी समस्याओं पर किसी भी प्रकार से कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इसे लेकर आज ठेकेदार संगठन ने अपनी समस्याओं के संबंध में यह मांग पत्र अधिकारियों को सौंपा हैं।
पीडब्ल्यूडी में ठेकेदारों से कार्य करवाने के बाद भी लंबे समय तक उनका बकाया पेमेंट नहीं दिया जा रहा है। इससे ठेकेदार काफी परेशान है। अपनी जेब से पैसा लगाकर ठेकेदार सरकारी कामों को कर तो देते हैं, लेकिन जब काम होने के बाद इन ठेकेदारों को भुगतान करने का समय आता है। तब अधिकारी इन्हें चक्कर पर चक्कर कटाते रहते हैं और भुगतान करने के संबंध में इन्हें मानसिक और आर्थिक रूप से परेशान किया जाता है।
इससे हार थक कर आज ठेकेदार यूनियन ने उच्च अधिकारियों के संबंध में अपनी समस्याओं को रखते हुए अपनी समस्या का निराकरण करने के लिए कहा।
संगठन के अध्यक्ष राम सिंह शेखावत ने बताया कि हमने पूर्व में भी कई बार सरकार को हमारी समस्याओं के बारे में बताया है लेकिन सरकार ने हमारी समस्याओं की ओर ध्यान नहीं दिया है। ठेकेदार सरकार की ओर से किया जा रहे इस तरह के व्यवस्थाओं और व्यवहार से दुखी है। उन्होंने कहा कि हम आशा करते हैं की नई सरकार हमारी समस्याओं को सुनेगी और उनका समाधान सकारात्मक भाव से करेगी।
उनकी मुख्य रूप से समस्याएं हैं-
- रजिस्ट्रेशन रिन्यूअल का सिस्टम बंद किया जाए क्योंकि पहले ही स्थाई किया जा चुका है।
- दोष निवारण अवधि को पूर्ण की भांति 5 वर्ष से घटाकर 3 वर्ष किया जाए।
- रजिस्ट्रेशन की फीस का अनुपात में टेंडर डालने की क्षमता में भी बढ़ोतरी की जाए।
- जेडीए के तर्ज पर दी क्लास के कामों को डीएलपी मुक्त रखा जाए।
- 12 से 18% हुई जीएसटी के अंतर को विभाग द्वारा ही भुगतान किया जाए जैसा कि जल संसाधन विभाग में किया जा रहा है।
- समय में वृद्धि का प्रकरण कार्य देश देने वालों से उच्च अधिकारी द्वारा विभाग में ही किया जाए।
- जिस प्रकार ठेकेदार द्वारा कार्य नहीं करने पर विभाग द्वारा 10% पेनल्टी लगाई जाती है उसी प्रकार विभाग द्वारा कार्य नहीं करवाने पर 10% का भुगतान ठेकेदारों को किया जाए।
- ठेकेदारों का भुगतान संशोधित धारा 143 बी 2030 के तहत 45 दिवस में भुगतान अनिवार्य किया जाए।
- सभी रजिस्टर्ड ठेकेदारों के रजिस्ट्रेशन में नॉमिनी को अनिवार्य रूप से जोड़ा जाए।
- सभी रजिस्टर्ड ठेकेदारों को ग्रुप इंश्योरेंस कवर कर अनिवार्य रूप से विभाग द्वारा रजिस्ट्रेशन के साथ दिया जाए।
- आरपीटी एक्ट 2013 की पालना सभी ठेकेदारों के साथ समान रूप से सुनिश्चित की जाए।
- मूल्य वृद्धि प्रकरणों में शपथ पत्र लेने के बजाय वसूली के केस में वसूला जाए और देने के केस में देने के उपरांत ही कार्य का अंतिम बिल पारित किया जाए।
- विभाग द्वारा संवेदक संघ का कार्यालय नवनिर्माण के लिए तोड़ दिया गया है उसकी जगह पर संवेदकों को अन्य कोई कमरा उपलब्ध कराया जाए।
- बजट के हिसाब से निविदा आमंत्रित करते हुए विभाग में रजिस्टर सभी श्रेणियां का ध्यान रखते हुए निविदा आमंत्रित की जाए।
- रॉयल्टी का पैसा विभाग में ही जमा किया जाए ताकि खनिज विभाग से एनओसी लाने की प्रक्रिया से बचा जाए जैसा कि प्राइवेट सेक्टर में निर्माण कार्य में किसी खनिज विभाग की एनओसी की आवश्यकता नहीं होती तो यह सरकार की कार्य में क्यों अनिवार्य है।