आज हिंदी सिनेमा के शोमैन, ‘फिल्मों के बादशाह’ और ‘इमोशन्स के जादूगर’, राज कपूर की 100 वीं जयंती है। उनकी जयंती पर आपको रूबरू कराते हैं उनके जीवन के कुछ अनछुहे किस्सों से. राज कपूर (Raj kapoor) वो आदमी थे, जिसे कहते हैं—सपनों को जीने वाला और चाय के लिए उधार लेने वाला!
क्या आपने कभी सोचा है कि ‘मेरा नाम जोकर’ वाला राज कपूर कभी सड़क पर आ गया था? या लता दीदी ने राज कपूर के लिए गाने से इनकार कर दिया था? आज हम आपको सुनाएंगे वो किस्से जो आपने शायद ही कभी सुने होंगे। तो सीट बेल्ट बांध लीजिए, क्योंकि ये सफर होने वाला है फिल्मी, रोमांटिक और इमोशनल!
संघर्ष का सफर
तो कहानी शुरू होती है 1948 में… जब 24 साल के राज कपूर ने अपने सपनों को पंख देने के लिए खुद का प्रोडक्शन हाउस ‘आरके फिल्म्स’ बनाया। पहली फिल्म बनाई—’आग’! और आग इतनी लगी कि राज साहब के पास यूनिट के चाय-नाश्ते के लिए भी पैसे नहीं बचे। नौकर से उधार लेकर काम चलाया। सोचिए!
लेकिन भैया, ‘आग’ तो बुझ गई, पर राज कपूर का जज्बा नहीं। फिर आई ‘बरसात’, और नरगिस के साथ जोड़ी ने सिनेमा में ऐसा जलवा दिखाया कि आसमान से फिल्मी बारिश शुरू हो गई। लेकिन “अरे ठहरिए!”… कहानी में ट्विस्ट तो अभी बाकी है!
दिल टूटने की दास्तां
नरगिस और राज कपूर का रिश्ता सिर्फ रील का नहीं, रियल भी था। लेकिन शादी के सवाल पर राज ने कहा—”सॉरी, मैं अपनी पहली पत्नी को नहीं छोड़ सकता।” नरगिस ने गृह मंत्री मोरारजी देसाई तक से कानून बदलवाने की कोशिश की, लेकिन बात नहीं बनी।
उधर ‘मदर इंडिया’ की शूटिंग के दौरान नरगिस ने सुनील दत्त से शादी कर ली। लेकिन दोस्त, राज कपूर नरगिस को कभी भूल नहीं पाए। जब नरगिस का निधन हुआ, तो राज काले चश्मे में उनकी अंतिम यात्रा में पहुंचे—कहते हैं, चश्मा उनके दुख को छिपा नहीं सका।
मेरा नाम जोकर” और संघर्ष का शिखर
अब सुनिए, 1970 में आई ‘मेरा नाम जोकर’! भव्यता इतनी कि राज कपूर ने सब कुछ गिरवी रख दिया—स्टूडियो, घर, पत्नी के गहने। फिल्म फ्लॉप हुई, और राज साहब को डिप्रेशन ने घेर लिया।
लेकिन बॉलीवुड का असली हीरो कभी हार नहीं मानता! 1973 में उन्होंने ‘बॉबी’ बनाई, जो सुपरहिट रही। और इसी के साथ, ऋषि कपूर को बॉलीवुड का नया स्टार बना दिया।
ग्लोबल स्टारडम और दिलचस्प किस्से
राज कपूर की ‘आवारा’ ने ऐसा धमाका किया कि रूस में उनके फैंस टैक्सी को कंधों पर उठा लेते थे! और ‘मेरा जूता है जापानी’ गाकर उन्होंने सोवियत संघ में अपनी जगह पक्की कर ली।
एक किस्सा ये भी है कि चीन ने उन्हें खास मेहमान बनाकर बुलाया, लेकिन राज साहब ने जाने से मना कर दिया। बोले—”चीन के लोग 50 के दशक वाले हैंडसम राज को याद करते हैं, मैं अब मोटा हो गया हूं!
तो दोस्तों, ये थे शोमैन राज कपूर के वो अनसुने किस्से, जो बताते हैं कि सपनों का पीछा करना आसान नहीं होता, लेकिन जो कर दिखाता है, वही सच्चा सुपरस्टार बनता है।राज कपूर की जिंदगी कहती है—कभी हार मत मानो, क्योंकि कहानी का ‘क्लाइमैक्स’ हमेशा धमाकेदार होता है!