जयपुर: राजस्थान में 13,00,000 बुजुर्ग पेंशन के लिए संघर्ष कर रहे हैं। सरकारी फाइलों में अटकने के कारण ये दाने-दाने को मोहताज हो गए हैं। कई बुजुर्गों को तो कागजों में मृत घोषित कर दिया गया है, जबकि अन्य के डाटा में गड़बड़ी की वजह से उन्हें पेंशन का लाभ नहीं मिल पा रहा।
आंकड़े बताते हैं सच
द टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, राजस्थान में कुल 90.8 लाख पेंशन लेने वाले बुजुर्ग हैं, जिनमें से 13.5 लाख को पेंशन नहीं मिल रही है। रिकॉर्ड बताते हैं कि अनेक पेंशनें विभिन्न कारणों से रद्द कर दी गई हैं, जैसे कि जीवित व्यक्तियों को मृत घोषित करना या केवाईसी पूरा न करना।
समस्याओं का भंडार
राजस्थान में गरीब और निर्भर लोगों के लिए पेंशन योजना की स्थिति चिंताजनक है। मजदूर किसान शक्ति संगठन (एमकेएसएस) ने आरोप लगाया है कि पेंशन पोर्टल पर आधार और अन्य जानकारी गलत दर्ज की गई हैं। इसके अलावा, बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन में भी गड़बड़ियां सामने आई हैं, जिससे बुजुर्गों की पहचान में मुश्किलें आ रही हैं।
शिविरों में आई समस्याएं
अगस्त से अक्टूबर के बीच आयोजित चार पेंशन शिविरों में भी इसी तरह की गड़बड़ियों की पुष्टि हुई है। ब्यावर में हुए शिविर में 244 पेंशनभोगियों में से 88 की पेंशन गलत तरीके से रोक दी गई। इनमें से 39 की पेंशन बहाल कर दी गई, लेकिन बाकी अभी भी लंबित हैं।
विभाग की प्रतिक्रिया
अतिरिक्त मुख्य सचिव कुलदीप रांका ने कहा है कि गलतियों को सुधारना एक सतत प्रक्रिया है। इस वर्ष विभाग ने 9,688 लाभार्थियों की पेंशन बहाल की है। उन्होंने बताया कि कई बार पेंशनभोगी गलत जानकारी भरते हैं, जिससे ये समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
निष्कर्ष
इस स्थिति ने साफ कर दिया है कि सरकारी प्रक्रिया में सुधार की जरूरत है, ताकि बुजुर्गों को उनकी पेंशन समय पर मिल सके। पेंशन न मिलने की यह समस्या न केवल उनके जीवन को प्रभावित कर रही है, बल्कि यह समाज के सबसे कमजोर वर्ग के लिए एक गंभीर चिंता का विषय भी है। राज्य सरकार को इस दिशा में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि बुजुर्गों को मिल सके उनकी हक की पेंशन।