नई दिल्ली, 10 दिसंबर, 2024:
भारत के माननीय सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान याचिका (C) संख्या 1/2023 में केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (CEC) द्वारा प्रस्तुत व्यापक रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया, जो सरिस्का टाइगर रिजर्व और पांडुपोल हनुमान मंदिर में अवैध खनन, पर्यावरण संरक्षण और धार्मिक पर्यटन प्रबंधन से संबंधित है। न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन की पीठ ने राजस्थान सरकार को एक वर्ष के भीतर सीईसी की सभी सिफारिशों को लागू करने का निर्देश दिया।
इसके अतिरिक्त, सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को सरिस्का टाइगर रिजर्व की सीमाओं को वैज्ञानिक अध्ययन और बाघों के प्रजनन क्षेत्रों को ध्यान में रखते हुए पुनः निर्धारित करने की अनुमति दी, ताकि दीर्घकालिक संरक्षण सुनिश्चित किया जा सके।
राज्य सरकार की ओर से प्रस्तुतियाँ और वकीलों की उपस्थिति
राज्य सरकार की ओर से निम्नलिखित अधिवक्ता उपस्थित हुए:
ऐश्वर्या भाटी, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG), शिव मंगल शर्मा, अतिरिक्त महाधिवक्ता (AAG), राजस्थान सरकार, और सोनाली गौड़, अधिवक्ता।
सुनवाई के दौरान एएजी शिव मंगल शर्मा ने प्रस्तुत किया कि राजस्थान सरकार ने सीईसी की सभी सिफारिशों से सहमति व्यक्त की है, जो 22 जुलाई, 2024 की रिपोर्ट में दी गई थीं। उन्होंने आश्वासन दिया कि राज्य सरकार ने पहले से ही सिफारिशों को लागू करने के लिए कदम उठाए हैं और माननीय न्यायालय द्वारा निर्धारित समय सीमा के भीतर सभी निर्देशों का पालन किया जाएगा।
उन्होंने विशेष रूप से बताया कि राजस्थान सरकार निम्नलिखित कार्यों के लिए प्रतिबद्ध है:
• सरिस्का टाइगर रिजर्व के बफर और कोर क्षेत्रों में अवैध खनन को रोकना।
• पांडुपोल मंदिर में तीर्थयात्रियों को ले जाने के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों की व्यवस्था करना, जिससे निजी वाहनों का प्रवेश बंद होगा।
• बाघों के प्रजनन क्षेत्रों के वैज्ञानिक अध्ययन के आधार पर सरिस्का की सीमाओं को पुनः निर्धारित करना।
• विशेष टाइगर सुरक्षा बल (STPF) की स्थापना और दिसंबर 2025 तक वन विभाग की सभी रिक्त पदों को भरना।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश और स्वीकृत सिफारिशें
राज्य सरकार द्वारा की गई प्रस्तुतियों और सीईसी की सिफारिशों पर सहमति को ध्यान में रखते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया और निम्नलिखित महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए:
- वाहन आवागमन प्रतिबंधित:
• पांडुपोल मंदिर क्षेत्र में निजी वाहनों के प्रवेश पर पूर्ण प्रतिबंध।
• तीर्थयात्रियों को मंदिर तक इलेक्ट्रिक बसों के माध्यम से ले जाने की व्यवस्था। - बुनियादी ढांचे में सुधार:
• पांडुपोल मंदिर की ओर जाने वाली ऑल वेदर सड़कों का निर्माण।
• मंदिर परिसर के पास निर्धारित पार्किंग स्थल का निर्माण। - पर्यावरण संरक्षण उपाय:
• कचरा प्रबंधन प्रणाली, जिसमें सीवेज और ठोस कचरे के उपचार संयंत्र शामिल हैं।
• मंदिर के कर्मचारियों, पुजारियों और सफाईकर्मियों द्वारा इलेक्ट्रिक वाहनों का अनिवार्य उपयोग। - खनन प्रतिबंध और भूमि प्रबंधन:
• सरिस्का बफर क्षेत्र में सभी अवैध खनन संचालन को तुरंत बंद करना।
• राजमार्ग-29ए का डिनोटिफिकेशन, जिससे इसे पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिए वन विभाग को हस्तांतरित किया जा सके। - बाघों के आवास संरक्षण:
• सरिस्का की सीमाओं का पुनः निर्धारण: सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को बाघों के प्रजनन क्षेत्रों के वैज्ञानिक अध्ययन के आधार पर सरिस्का टाइगर रिजर्व की सीमाओं को पुनः निर्धारित करने की अनुमति दी।
• टाइगर संरक्षण योजना (TCP) का विस्तार: समाप्त हो चुकी टाइगर संरक्षण योजना को 31 मार्च, 2026 तक बढ़ा दिया गया, ताकि दीर्घकालिक संरक्षण सुनिश्चित किया जा सके। - वन्यजीव संरक्षण उपाय:
• सरिस्का टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर और उप-फील्ड डायरेक्टर की नियुक्ति।
• वन्यजीव अपराधों से निपटने के लिए विशेष टाइगर सुरक्षा बल (STPF) का गठन।
अनुपालन समय सीमा और निगरानी प्रणाली
सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार को एक वर्ष की अवधि में सीईसी की सभी 25 सिफारिशों को लागू करने का निर्देश दिया। अदालत ने एक निगरानी समिति बनाने का निर्देश भी दिया, जो समय-समय पर अनुपालन सुनिश्चित करेगी, प्रगति की समीक्षा करेगी और रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।
अगली अनुपालन समीक्षा सुनवाई 2025 के अंत में होने की उम्मीद है, ताकि सरिस्का टाइगर रिजर्व का सतत विकास सुनिश्चित किया जा सके और पांडुपोल मंदिर में धार्मिक पर्यटन और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन स्थापित किया जा सके। यह ऐतिहासिक निर्णय भारत में पर्यावरण संरक्षण और वन्यजीव संरक्षण के प्रति सुप्रीम कोर्ट की प्रतिबद्धता को मजबूत करता है।