नई दिल्ली, 19 दिसंबर 2024: राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिए सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार द्वारा दायर अनुपालन हलफनामे को मंजूरी दे दी है। यह हलफनामा एम.सी. मेहता बनाम भारत संघ और अन्य मामले के तहत दायर किया गया था।
यह हलफनामा राजस्थान के अतिरिक्त महाधिवक्ता शिव मंगल शर्मा और अधिवक्ता सोनाली गौर द्वारा सुप्रीम कोर्ट के 12 दिसंबर 2024 के आदेश के अनुपालन में प्रस्तुत किया गया। इसमें राज्य सरकार द्वारा एनसीआर के अंतर्गत आने वाले भरतपुर और अलवर जिलों में पटाखों के उपयोग, निर्माण, भंडारण, बिक्री, और वितरण पर पूरे वर्ष के लिए पूर्ण प्रतिबंध लगाने की कार्रवाई पर प्रकाश डाला गया है।
प्रदूषण नियंत्रण के लिए सख्त कदम
यह प्रतिबंध सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुरूप है, जिनका उद्देश्य पटाखों से होने वाले वायु और ध्वनि प्रदूषण को कम करना है। राजस्थान सरकार के हलफनामे में कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए सख्त कदमों का विवरण दिया गया है।
प्रमुख बिंदु इस प्रकार हैं:
- पुलिस निगरानी: सभी पुलिस थानों को पटाखों पर प्रतिबंध को सख्ती से लागू करने और निगरानी रखने के निर्देश दिए गए हैं।
- प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की जिम्मेदारी: राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देशित किया गया है कि प्रतिबंध का कड़ाई से पालन हो।
- जन जागरूकता अभियान: सूचना और जनसंपर्क विभाग व्यापक अभियान चलाकर जनता को पटाखा प्रतिबंध के महत्व और इसके लाभों के बारे में जागरूक करेगा।
सरकार का प्रयास और सुप्रीम कोर्ट का समर्थन
राजस्थान सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह कदम राज्य के नागरिकों के स्वास्थ्य और पर्यावरण संरक्षण के लिए उठाया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार की इस पहल को सराहा है और उम्मीद जताई है कि अन्य राज्य भी ऐसे ही कदम उठाएंगे।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्रतिबंध एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण के संकट को हल करने में एक अहम कदम साबित हो सकता है। सरकार के जागरूकता अभियान और सख्त निगरानी उपायों से प्रतिबंध को प्रभावी तरीके से लागू किया जा सकेगा।