राजस्थान सरकार ने ‘आदतन अपराधी’ के गौवंश मामले में सुप्रीम कोर्ट से जमानत रद्द करने की गुहार लगाई
अतिरिक्त महाधिवक्ता शिव मंगल शर्मा ने गौवंश परिवहन और पशु क्रूरता मामले में आरोपी नजीम खान की जमानत आदेश को वापस लेने की याचिका दाखिल की
राजस्थान सरकार ने एक प्रमुख गौवंश मामले में आरोपी नजीम खान की जमानत रद्द करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। अतिरिक्त महाधिवक्ता शिव मंगल शर्मा के नेतृत्व में यह अपील की गई, जिसमें 21 अक्टूबर 2024 को खान को मिली जमानत को रद्द करने का अनुरोध किया गया है।
मामले का पृष्ठभूमि: विभिन्न राज्यों में लगातार उल्लंघन का सिलसिला
यह मामला फरवरी 2021 में करौली जिले के नादौती पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर से जुड़ा है, जब पुलिस ने एक ट्रक को रोका जिसमें गाय और बैल लदे हुए थे। राजस्थान पुलिस ने इस ट्रक को गौवंश के अवैध परिवहन के संदेह में रोका था, जो राजस्थान गौवंश पशु अधिनियम, 1995 और पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 का उल्लंघन था।
ट्रक की तलाशी में 26 गाय और बैल पाए गए, जिसमें से एक मृत थी। ट्रक के ड्राइवर और एक अन्य यात्री को हिरासत में लिया गया, जबकि आरोपी नजीम खान कथित तौर पर भागने में सफल रहा। जांच में खुलासा हुआ कि खान के खिलाफ राजस्थान और उत्तर प्रदेश में कई गौवंश परिवहन के मामले दर्ज हैं, जो उनके अपराध की एक आदतन और गंभीर प्रवृत्ति को दर्शाते हैं।
कानूनी त्रुटि: राज्य की अनुपस्थिति में मिली जमानत
खान को 21 अक्टूबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दी थी, जिसमें राज्य सरकार की अनुपस्थिति के कारण कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों को प्रस्तुत नहीं किया गया। राजस्थान सरकार की ओर से दायर याचिका में यह बताया गया कि खान के आपराधिक इतिहास की जानकारी अदालत के सामने नहीं थी, जिसके कारण जमानत का आदेश दिया गया।
राजस्थान सरकार के जमानत रद्द करने के तर्क
अतिरिक्त महाधिवक्ता शर्मा द्वारा दायर याचिका में राज्य का पक्ष रखा गया, जिसमें खान की जमानत को रद्द करने के कई अहम तर्क दिए गए:
• आदतन अपराधी और आपराधिक इतिहास: खान के खिलाफ राजस्थान गौवंश अधिनियम और पशु क्रूरता अधिनियम के तहत कई मामले दर्ज हैं, साथ ही उत्तर प्रदेश में गिरोह संबंधित आरोप भी हैं। राजस्थान सरकार का मानना है कि खान का आपराधिक इतिहास उसे एक आदतन अपराधी बनाता है, जो जमानत पर छूटे रहने पर सार्वजनिक सुरक्षा के लिए खतरा है।
• अपराध दोहराने का उच्च जोखिम: राज्य ने आशंका जताई है कि खान की जमानत से गौवंश तस्करी जैसे अपराधों का सिलसिला जारी रह सकता है। सरकार ने सख्त रोकथाम उपायों की आवश्यकता पर बल दिया है।
• प्रक्रियात्मक चूक के कारण प्रतिनिधित्व में असफलता: राज्य ने मामले में अपना पक्ष सही ढंग से प्रस्तुत न करने पर खेद व्यक्त किया और खान के आपराधिक आचरण को ध्यान में रखते हुए जमानत पर पुनर्विचार का आग्रह किया।
आरोपी का आपराधिक इतिहास और गौवंश कानून प्रवर्तन पर असर
उत्तर प्रदेश के संभल जिले के निवासी खान पर राजस्थान के कठोर गौवंश संरक्षण कानूनों के उल्लंघन का आरोप है। पुलिस रिकॉर्ड से पता चलता है कि खान उत्तर प्रदेश में भी ऐसे मामलों में शामिल रहे हैं, जिसमें उनके खिलाफ कई गिरफ्तारी वारंट जारी हुए हैं।
राजस्थान सरकार की याचिका में यह बताया गया है कि खान की गतिविधियाँ न केवल राज्य के कानूनों का उल्लंघन करती हैं, बल्कि कानूनी प्रक्रियाओं के प्रति उनकी उदासीनता को भी दर्शाती हैं। सरकार का कहना है कि खान का लगातार भागना और अदालतों से बचना उन्हें एक बड़ा जोखिम बनाता है और उसकी जमानत को रद्द करना कानून प्रवर्तन के हित में आवश्यक है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भविष्य में प्रवर्तन पर प्रभाव
यह प्रमुख मामला राजस्थान की गौवंश संरक्षण कानूनों के प्रवर्तन के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है। यदि सुप्रीम कोर्ट खान की जमानत रद्द करता है, तो इससे आदतन अपराधियों के खिलाफ कानून के प्रवर्तन को मजबूत करने की मिसाल स्थापित होगी।
सुप्रीम कोर्ट का आगामी फैसला इस मामले में न केवल कानून प्रवर्तन को नई दिशा देगा बल्कि पशु संरक्षण कानूनों में अपराधियों के जमानत के मामलों पर भी महत्वपूर्ण प्रभाव डालेगा। इस फैसले से न्यायिक विवेक और पशु क्रूरता व अवैध परिवहन के मामलों में कठोर कानूनी उपायों के बीच संतुलन साधने में मदद मिलेगी।