Home राजनीति सुप्रीम कोर्ट का आदेश: पूर्व विधायक गिरिराज सिंह मालींगा को दो सप्ताह में समर्पण करने का निर्देश

सुप्रीम कोर्ट का आदेश: पूर्व विधायक गिरिराज सिंह मालींगा को दो सप्ताह में समर्पण करने का निर्देश

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Rajasthan Jaipur: राजस्थान के पूर्व विधायक गिरिराज सिंह मलिंगा को सुप्रीम कोर्ट ने दो सप्ताह के भीतर समर्पण करने का आदेश दिया है। यह निर्देश उनकी जमानत रद्द करने के राजस्थान उच्च न्यायालय के फैसले के बाद आया है। जस्टिस वी. रामासुब्रमणियन और जस्टिस अरविंद कुमार की पीठ ने मलिंगा की विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) पर सुनवाई को लंबित रखा है और समर्पण के चार सप्ताह बाद आगे की सुनवाई निर्धारित की है।

घटनाओं का क्रम:

  • 28 मार्च, 2022 – मलिंगा पर धौलपुर के बाड़ी में सहायक अभियंता हर्षधिपति के कार्यालय में कथित हमले का आरोप लगा था। इस संबंध में भारतीय दंड संहिता की धारा 143, 332, 353, 504, 506 और एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धारा 3(1)(र), 3(1)(स), और 3(2)(वा) के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी। आरोप था कि मलिंगा ने अभियंता को कुर्सी से मारा और जातिसूचक गालियाँ दीं।
  • 17 मई, 2022 – मलिंगा को राजस्थान उच्च न्यायालय से जमानत मिल गई, और इसके बाद उन्होंने अपनी रिहाई का सार्वजनिक जश्न मनाया, जिसमें कथित तौर पर धमकी भरे बयान दिए गए।
  • 24 मई, 2022 – शिकायतकर्ता ने जमानत रद्द करने की याचिका दाखिल की, जिसमें मलिंगा की रिहाई के बाद की गतिविधियों को न्याय प्रक्रिया को प्रभावित करने का प्रयास बताया गया।
  • 5 जुलाई, 2024 – उच्च न्यायालय ने मलिंगा की जमानत रद्द कर दी और उन्हें 30 दिनों में समर्पण का आदेश दिया।
  • 22 जुलाई, 2024 – मलिंगा ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की, जिसके बाद उन्हें अस्थायी राहत मिली थी।
  • 8 नवंबर, 2024 – सुप्रीम कोर्ट ने आज के निर्णय में मलिंगा को दो सप्ताह के भीतर समर्पण का निर्देश दिया और उच्च न्यायालय के जमानत रद्दीकरण आदेश पर लगी रोक को हटाने का आदेश दिया।

कानूनी पहलू

मलिंगा की ओर से सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने पैरवी की, जबकि राजस्थान राज्य का पक्ष अतिरिक्त महाधिवक्ता शिव मंगल शर्मा ने रखा। कोर्ट ने मलिंगा की एसएलपी पर समर्पण के चार सप्ताह बाद सुनवाई की तिथि निर्धारित की है, जिससे उनके समर्पण और आगे की गतिविधियों पर निगरानी बनी रहेगी।

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने राजस्थान में एक महत्वपूर्ण राजनीतिक और कानूनी मुद्दे को नया मोड़ दिया है। अब सभी की नजरें मालींगा के समर्पण और आगे की अदालती कार्रवाई पर हैं।

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