माँ दुर्गा के 9 रूपो की कहानी 

नवरात्रि का पर्व शक्ति, समर्पण और श्रद्धा का प्रतीक है, जहां हम देवी दुर्गा की आराधना करते हैं। यह नौ दिनों का उत्सव हमें बुराई पर अच्छाई की विजय का संदेश देता है

पहले दिन देवी शैलपुत्री की पूजा होती है, जो पार्वती का पहला रूप हैं और पर्वतों की बेटी मानी जाती हैं। इस दिन का रंग लाल है, जो ऊर्जा और शक्ति का प्रतीक है।

दूसरे दिन देवी ब्रह्मचारिणी की आराधना की जाती है, जो तपस्या और संयम की देवी हैं। उनका रंग सफेद है, जो शांति और पवित्रता का प्रतीक है।

तीसरे दिन देवी चंद्रघंटा की पूजा होती है, जो एक योद्धा रूप में बुराई का नाश करती हैं और इनके मस्तक पर चंद्रमा का आकार होता है। इस दिन का रंग नीला है, जो शक्ति और शांति का संतुलन दर्शाता है।

चौथे दिन देवी कूष्मांडा की पूजा होती है, जो सृष्टि की रचना करने वाली देवी हैं और इन्हें ब्रह्मांड की माता माना जाता है। इस दिन का रंग पीला है, जो खुशी और समृद्धि का प्रतीक है।

पाँचवे दिन देवी स्कंदमाता की आराधना की जाती है, जो भगवान कार्तिकेय की माता हैं और शांति तथा मातृत्व का प्रतीक हैं। इस दिन का रंग हरा है, जो प्रकृति और विकास को दर्शाता है।

छठे दिन देवी कात्यायनी की पूजा होती है, जो राक्षस महिषासुर का वध करती हैं। इस दिन का रंग नारंगी है, जो उत्साह और ऊर्जा का प्रतीक है।

सातवें दिन देवी कालरात्रि की आराधना की जाती है, जो अंधकार और बुराई का नाश करती हैं। इनका रूप डरावना है, लेकिन कल्याणकारी भी है। इस दिन का रंग काला है, जो नकारात्मकता के अंत का प्रतीक है।

आठवें दिन देवी महागौरी की पूजा होती है, जो श्वेत वस्त्र धारण करती हैं और सौंदर्य तथा शांति का प्रतीक हैं। इस दिन का रंग गुलाबी है, जो प्रेम और करुणा को दर्शाता है।

नवें दिन देवी सिद्धिदात्री की आराधना की जाती है, जो सभी प्रकार की सिद्धियाँ प्रदान करती हैं। इस दिन का रंग बैंगनी है, जो आध्यात्मिक ऊर्जा और शक्ति का प्रतीक है।